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आगम
(०५)
"भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२०], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [६], मूलं [६७१-६७३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः
[६७१६७३]
॥७८९॥
दीप अनुक्रम [७८९-७९१]
सत्तमाए उववाएयचो एवं बंभलोगस्स लतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं ||२० शतके लंतगस्स महासुक्कस्स कप्पस्स य अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं महासुकसहस्सारस्स या उद्देशः ६. कप्पस्स अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं सहस्सारस्स आणयपाणयकप्पाण अंतरा पुणरवि जाव || । अहेसत्तमाए, एवं आणयपाणयाणं आरणअचुयाण य कप्पाणं अंतरा पुणरवि जाच अहेसत्तमाए, एवं
पूर्वेपश्चादु॥
त्पादाहारी आरणचुयाणं गेवेजविमाणाण य अंतरा जाव अहेसत्तमाए, एवं गेवेजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य अंतरा सू६७१. पुणरवि जाच अहेसत्तमाए, एवं अणुत्तरविमाणाणं इसीपभाराए य पुणरवि जाच अहेसत्तमाए उववाए-118/६७२.६७३ यो ।(मु०६७१) आउकाइएणं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए सकरप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए समो०२जे भविए सोहम्मे कप्पे आजकाइयत्ताए उववजित्तए सेसं जहा पुढविकाइयस्स जाव से सेणढणं एवं पढमदोचाणं अंतरा समोहए जाव ईसीपभाराए उववाएयचो एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए समोह०२ जाव ईसीपम्भाराए उववाएयचो आउकाइयत्ताए, आउयाए णं भंते ! सोह-पू |म्मीसाणाणं सर्णकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए | पुढवीए घणोदधिवलएसु आउकाइयत्ताए उववजित्तए सेसं तं चेव एवं एएहिं चेव अंतरा समोहओ जाव
का॥७८९|| | अहेसत्तमाए पुढवीए घणोदधिवलएसु आउकाइयत्ताए उववाएयवो एवं जाव अणुत्तरविमाणाणं इंसिप
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