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________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [१९], वर्ग -1, अंतर्-शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [६५४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [६५३] BARISASARANKAN ६ वेदणा महानिजरा ?, नो तिणढे समढे, सिय भंते ! नेरतिया महासथा अप्पकिरिया अप्पवेदणा अप्पनि जरा, णो तिणढे समहे८, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेदणा महानिजरा?, नोतिणडे समढे ९, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेदणा अप्पनिजरा?, नो तिणद्वे समढे १०, सिय भंते ! नेरझ्या अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिजरा ?, नो तिणढे समढे ११, सिय भंते ! नेरच्या अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेदणा अप्पनिजरा', णो तिणढे समढे १२, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा? नो तिणढे समढे १३, सिय भंते ! नेरतिया अप्पासवा | अप्पकिरिया महावेदणा अप्पनिचरा, नो तिणहें समढे १४, सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेषणा महानिजरा', नो तिणढे समहे १५, सिय मंते ! नेरच्या अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेषणा अप्पनिज्जरा ?, णो तिणढे समढे १६, एते सोलस भंगा। सिय भंते ! असुरकुमारा महा- newww.xxx सवा महाकिरिया महावेदणा महानिजरा, णोw ww * FREn: तिणहे समहे, एवं चउत्थो भंगो भाणियचो, सेसा wwwwwwwwwwwwE: पन्नरस भंगा खोडेयवा, एवं जाच धणियकमारा, सिय भंते ! पुचिकाइया महासवा महाकिरिया महावेपणा महानिराहता, एवं जाक-सिय भंते ! पुढ R1:%A4%A355554 दीप अनुक्रम [७६४] असुरादेः । १६ सन्त ~ 1539~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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