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आगम
(०५)
प्रत
सूत्रांक
[४७०
-४७२]
दीप
अनुक्रम
[५६३
-५६६]
“भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [१३], वर्ग [–], अंतर् शतक [-], उद्देशक [१], मूलं [४७०-४७२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
व्याख्या
प्रज्ञठिः अभयदेवीया वृत्तिः २
॥५९६ ॥
यूत्पादः
सू ४७०
| काउलेस्सा उववति २१ केवइया कण्हपक्खिया उबवजंति ३१ केवतिया सुकपक्खिया उववज्जंति ४ १ केव- ५ १३ शतके तिया सन्नी उबवजंति ५ १ केवतिया असन्नी उववज्जंति ६ ? केवतिया भवसिद्धीया उव० ७ १ केवतिया १ उद्देशः अभवसिद्धीया उवव० ८१ केवतिया आभिणिवोहियनाणी उव० ९१ केवइया सुयनाणी जव० १०१ केव- * रलप्रभादि| इया ओहिनाणी उबवजंति १११ केवइया मइअन्नाणी उवव० १२ ? केवइया सुयअन्नाणी उव० १३१ केवइया विभंगनाणी उवव० १४ ? केवइया चक्खुदंसणी उव० १५ १ केवइया अवक्खुदंसणी उवव० १६ १ केवइया ओहिदंसणी उवव० १७१ केवइया आहारसनोवउत्ता उवव० १८ १ केवइया भयसन्नोवउत्ता उब० १९१ केवइया मेहुणसन्नोवउत्ता उबव २०१ केवइया परिग्गहसन्नोवजत्ता जवव० २१ १ केवइया इत्थि - बेयगा उबव० २२ ? केवइया पुरिसवेदगा उबव० २३ ९ केवइया नपुंसगवेदगा उबव० २४ ? केवइया कोहकसाई उबव० २५ ? जाव केवइया लोभकसायी उवव० २८ ? केवइया सोइंदियउवत्ता उव० २९ १ जाव केवइया फासिंदियोवउता उब० ३३१ केवइया नोइंद्रियोवउत्ता उव० ३४ १ केवतिया मणजोगी उबव० ३५१ केवतिया वइजोगी उबव० ३६ १ केवतिया कायजोगी उवव० ३७१ केवतिया सागारोवउत्ता उचव० ३८ १ केवतिया अणागारोवउत्ता उवव० ३९१, गोधमा ! इमीसेणं रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयस| हस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरपसु जहनेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया उचब०, जहश्रेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्को० संखेज्जा काउलेस्सा जव०, जहनेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं
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रत्नप्रभा - आदि नरकेषु उत्पादः
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॥५९६ ॥
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