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________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [११], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [११], मूलं [४२५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: ACTOR प्रत सूत्रांक [४२५] परि०२ उफोसिया अपंचममुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति । कदा गं भंते ! उक्कोसिमा ★ अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स राईए वा पोरिसी भवइ ? कदा घा जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स चा राईए वा पोरिसी भवह, सुदंसणा ! जदा णं उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ तदा णं उकोसिया अपंचममुहुत्ता दिवसस्म पोरिसी भवइ जहनिया तिमुहत्ता राईए पोरिसी भवह, जया णं उकोसिया अट्ठारसमुहुत्तिआराई भवति जहन्निए दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ तदा णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ जहनिया तिमुहुसा दिवसस्स पोरिसी भवइ । कदा गं भंते ! उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ? कदाचा उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवह, सुदंसणा ! आसाहपुन्निमाए उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते मदिवसे भवइ जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, पोसस्स पुन्निमाए णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहसा राई | भवद जहन्नए दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ । अत्थि णं भंने! दिवसा य राईओ यसमा चेव भवन्ति !, हंता! अस्थि, कदा णं भंते ! दिवसा य राईओय समा चेव भवन्ति ?, मुदंसणा ! चित्तासोयपुन्निमासु णं, एत्य णं दिवसा प राईओय समा चेव भवन्नि, पन्नरसमुहत्ते दिबसे पन्नरसमुहुत्ता राई भवइ चउभागमुहुत्त|भागूणा चजमुटुसा दिवसस्स वा राए वा पोरिसी भवइ, सेत्तं पमाणकाले ॥ (सूत्रं ४२५)॥ 'उक्कोसियेत्यादि, 'अपंचमुहुत्त'त्ति अष्टादश मुहूर्त्तख दिवसस्य रावेर्वा चतुर्थों भागो यस्मादपशममुहूर्त्ता नव दीप अनुक्रम [५१५] ~ 1072~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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