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आगम
(०५)
प्रत
सूत्रांक
[ ४०१ ]
दीप
अनुक्रम
[४८२]
“भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं + वृत्तिः)
शतक [१०], वर्ग [−], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [३], मूलं [४०१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित
आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
पुर्वि विमीता पच्छा वीहवएज्जा पुत्रिं वीहवएता पच्छा विमोहेजा १, गोयमा ! पुत्रिं विमोहेत्ता पच्छा वीश्वरजा णो पुधिं वीइवइसा पच्छा विमोहेजा । महिडीए णं भंते! देवे अप्पट्टियस्स देवस्स मसंमज्झेणं बीइवरजा ?, हंता वीइबएज्जा, से णं भंते । किं विमोहित्ता पभू अविमोहेत्ता पभू १, गोपमा ! विमोहेत्तावि | पभू अविमोहेत्तावि पभू से भंते । किं पुषिं विमोहेत्ता पच्छा वीइवरजा पुर्वि बीइवइसा पच्छा विमो हेज्जा १, गोपमा पुषिं वा विमोहत्ता पच्छा वीश्वएज्जा पुि 'बीइवएत्ता पच्छा विमोहेजा । अप्पिटिएणं भंते । असुरकुमारे महद्वीयस्स असुरकुमारस्स मज्झमज्झेणं वीइव एजा १, णो णट्ठे समई, एवं असुरकुमारेवि तिनि आलावगा भाणियता जहा ओरिएणं देवेण भणिया, एवं जाव धणियकुमाराणं, वाणमंतरजोइसिपमाणिएणं एवं वेब । अप्पडिए णं भंते! देवे महिडियाए देवीए मजमणं वीवजा १, णो इणट्टे समट्ठे, समहिए णं भंते । देवे समिट्टीयाए देवीए ममजणं, एवं तहेव देवेण य देवीण य दंडओ भाणियो जाव बेमाणियाए । अप्पट्टिया णं भंते! देवी महट्टीयस्स देवस्स मजांमज्मेणं एवं एसोषि तहओ दंडओ भाणिपतो जाब महहिया वैमाणिणी अप्पट्टियस्स वैमाणियरस मज्झमज्ज्ञेणं बीइवएज्जा १, हंता वीइवएजा । अप्पडिया णं भंते! देवी महिट्टियाए देवीए मशंमजणं वीइवएज्जा १, णो इणठ्ठे समझे, एवं समहिया देवी समहियाए देवीए तहेब, महहिमावि देवी अप्पट्टियाए देवीए तहेव, एवं एकेके तिनि २ आलावा भाणियचा जाब महट्टिया णं भंते । बेमाणिणी अप्पट्टियाए वैमाणिणीए मशंमजणं वीव
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