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________________ आगम (०३) प्रत सूत्रांक [६३५ -६४४] दीप अनुक्रम love -७८१] SRASPSC+৬+৬ল৬+ Education "स्थान" अंगसूत्र - ३ ( मूलं + वृत्तिः) उद्देशक [-], स्थान [८], - सपए एवं चैव १३ एवं उत्तरेणवि १४ (सू० ६३८) जंबूमंदरपुर० सीताते महानईए उत्तरेणं अट्ठ दीइवेयड़ा अट्ठ तिमि सगुहाओ अट्ठ खंडगप्पवातगुहा अट्ट कयमालगा देवा अट्ठ णट्टमालगा देवा अट्ठ गंगाकुंडा अट्ठ सिंधुकुंडा अठ्ठ गंगातो अट्ट सिंधूओ अट्ठ उसभकूडा पब्बता अट्ट उसभकूडा देवा पं० १५, जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते दाहिणेणं अट्ठ दीहवेभट्ठा एवं चैव जाव अट्ठ उसभकूढा देवा पं०, नवरमेत्य रत्तारत्तावतीतो तासिं चेव कुंडा १६, जंबूमंदरपचच्छिमे णं सीतोताए महानदीते दाहिणेणं अट्ठ दीहवेयड़ा जाव अटु नट्टमालगा देवा अट्ठ गंगाकुंडा अटू सिंधुकुंडा अ गंगातो rg सिंधूओ अ सभकूटपव्वता अट्ठ उसभकूडा देवा पण्णत्ता १७, जंबूमंदरपचत्थि० सीओताते महानतीते उत्तरेणं अङ्क दीइवेयडा जाब अट्ठ नट्टमालगा देवा अट्ठ रक्तकुंडा अट्ठ रत्तावतिकुंडा अट्ठ रचाओ जाब अट्ठ उसभकूडा देवा पं० १८ ( सू० ६३९) मंदरचूलिया णं बहुमज्झदेसभाते अट्ठ जोयणाई विक्रमेणं पं० १९ ( सू० ६४०) धायइसंख पुरस्थिमद्धेणं धायतिरुक्खे अट्ट जोयणाई उडूं उश्चत्तेणं प० बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं साइरेगाई अट्ट जोयणाई सध्वणं पं० एवं घायइरुक्खातो आढवेत्ता सचेच जंबूदीवचत्तव्वता भाणियव्वा जाव मंदरचूलियत्ति एवं पचच्छिमद्धेवि महाधाततिरुक्खातो आढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुक्खरवर दीवढपुरच्छिमद्धेवि पडमरुक्खाओ आढवेत्ता जान मंदरचूलियत्ति एवं पुक्खरवरदीवपञ्चत्थि० महापचमरुक्खातो जाव मंदरचूलितति (सू० ६४१ ) जंबूदीवे २ मं पवते मसालवणे मह दिसाहत्यिकूडा पं० तं०पमुत्तर नीलवंते सुहत्थि अंजणागिरी कुमुते य । पलासते वहिंसे (अट्टमए) रोयणागिरी ॥ १ ॥ १ जंबूदीवस्स णं दीवस्स जगती अद्ध जोयणारं स उचत्तेणं बहुमज्झदेसभाते अट्ट जोयणाई www...... मूलं [६३६-६४४] + गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.... ..आगमसूत्र [०३], अंग सूत्र [०३] - For PPs Use Only ~ 874 ~ anbay.org "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
SR No.004103
Book TitleAagam 03 STHAN Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1059
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size220 MB
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