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________________ आगम “स्थान" - अंगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति© स्थान [४], उद्देशक [४], मूलं [३४४] (०३) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०३], अंग सूत्र - [०३] "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: श्रीस्थानाः दसत्र प्रत ॥ २६५॥ सूत्रांक [३४४] ४ स्थाना उद्देशः४ व्याधिचिकित्से सू० ३४३ चिकित्सकवणशल्यश्रेय:पापाख्या यकादि ४सू० ३४४ ॥२६५॥ च्छए नाममेगे ४, २, चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-यणकरे णाममेगे नो वणपरिमासी वणपरिमासी नाममेगे णो वणकरे एगे वणकरेवि वर्णपरिमासीवि एगे णो वणकरे णो वणपरिमासीवि १, चत्वारि पुरिसजाया पं० सं०-वणकरे नाममेगे जो वणसारक्खी ४, २, पत्तारि पुरिसजाया पं० २०-वणकरे नाम एगे णो वणसरोही ४, ३, चत्तारि वणा पं० २०-अंतोसले नाममेगे णो बाहिंसल्ले ४, १, एवामेव चत्वारि पुरिसजाया पं० ०-अंतोसले णाममेगे णो बाहिंसले ४, २, पत्तारि षणा पं० ०-अंतो दुढे नाम एगे णो बाहिं दुढे चाहिं बुट्टे नाम एगे नो अंतो ४, ३, एवामेव पत्तारि पुरिसजाया पं० सं०-अंतो दुहे नाममेगे नो बाहिं दुढे ४, ५, चत्तारि पुरिसजाया पं० सं०सेतसे णाममेगे सेयंसे सेयंसे नामगेगे पावसे पावसे णामं एगे सेयंसे पावंसे णाममेगे पावसे, १, पत्तारि पुरिसजाया पं००-सेतसे णाममेगे सेतंसेत्ति सालिसए सेतसे णाममेगे पासेत्ति सालिसते ४, २, चत्तारि पुरिसा पं० त०सेतंसेत्ति णाममेगे सेतंसेत्ति मण्णति सेतैसेत्ति णाममेगे पावंसेत्ति मण्णति ४, ३, चत्तारि पुरिसजाता पं० २०सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्ति सालिसते मन्नति सेतंसे णाममेगे पावंसेत्ति सालिसते मन्नति ४,४, बत्तारि पुरिसजाता पं० त०-आपतित्ता णाममेगे णो परिभावतित्ता परिभावइत्ता णाममेगे णो भापतित्ता ४, ५, चत्तारि पुरिसजाया पं० सं०-आघवतित्ता णाममेगे नो उछजीविसंपन्ने उछजीविसंपन्ने णाममेगे णो आपबइत्ता ४, ६, चउन्विहा रुक्खविगुब्वणा पं00-पचालत्ताए पत्तत्ताए पुप्फत्ताए फलत्ताए (सू० ३४४) 'चउविहे' इत्यादि कण्ठयं, केवलं वातो निदानमस्येति वातिकः एवं सर्वत्र नवरं सन्निपात:-संयोगो द्वयोस्त्रयाणां वेति दीप अनुक्रम [३६६] ~533~
SR No.004103
Book TitleAagam 03 STHAN Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1059
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size220 MB
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