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________________ आगम (०३) प्रत सूत्रांक [१२] टीप अनुक्रम [९६] "स्थान". स्थान [२], उद्देशक (3) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ..... ..आगमसूत्र [०३ ], अंग सूत्र [०३] .......... * % ৩ জ996+9+ ratha - अंगसूत्र - ३ ( मूलं + वृत्तिः) उत्तरकुरुमहद्दुमवासी देवा दो चुहहिमवंता दो महाहिमवंता दो निसदा दो नीलवंता दो रुप्पी दो सिहरी दो सहावाती दो सहावादवासी साती देवा दो वियढावाती दो वियडावातिवासी पभासा देवा दो गंधावाती दो गंधावातिवासी अरुणा देवा दो सालपरियागा दो मालवंतपरियागावासी पडमा देवा दो मालवंता दो चित्तकूडा दो पम्हकूडा दो नलि - कूडा दो एगसेला दो तिकूडा दो वेसमणकूडा दो अंजणा दो मातंजणा दो सोमणसा दो विजुप्पमा दो अंकावती दो पम्हावती दो आसीविसा दो सुहावहा दो चंदपब्बंता दो सूरपन्यता दो णागपव्वता दो देवपव्वया दो गंधमायणा दो सुगारपब्वया, दो हिमवंतकूडा दो वेसमणकूडा दो महाहिमवंतकूडा दो वेरुलियकूडा दो सिहकूड़ा दो रुयगकूडा दो नीलवंतकूडा दो वदंसणकूडा दो रुप्पिकूडा दो मणिकंचणकूडा दो सिहरिकूडा दो तिगिच्छिकूडा दो पमदहा दो पउमद्दहवासिणीओ सिरीदेवीओ दो महापत्रमहा दो महाप मद्दहवासिणीओ हिरीतो देवीओ एवं जाव दो पुंडरीयदहा दो पोंडरीयद्दद्दवासिणीओ लच्छीदेवीओ, दो गंगापवायदा जाब दो रत्तवतिपवात दहा दो रोहियाओ जाव दो रुष्पकुलातो दो गाइवतीओ दो दहवतीओ दो पंकवतीओ दो तत्तजलाओ दो मत्तजलाओ दो उम्मत्तजलाओ दो खीरोयाओ दो सीहसोताओ दो अंतोवाहिणीओ दो उम्मिमालिणीओ दो फेणमालिणीओ दो गंभीरमालिणीओ दो कच्छा दो सुकच्छा दो महाकच्छा दो कच्छगावती दो आवता दो मंगलावत्ता दो पुक्खला दो पुक्खलावई दो बच्छा दो सुवच्छा दो महावच्छा दो बच्छगावती दो रम्मा दो रम्मगा दो रमणिज्जा दो मंगलावती दो पम्हा दो सुपम्हा दो महपम्हा दो पम्गावती दो संखा दो पालिया दो कुमुया दो स (ज) लिला (णा) बती दो वप्पा दो सुबप्पा दो महावप्पा दो वप्पगावती दो बम्मू दो For Penal Use Only मूलं [१२] "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः ~ 162 ~ yor
SR No.004103
Book TitleAagam 03 STHAN Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1059
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size220 MB
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