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________________ आगम (०२) “सूत्रकृत्” - अंगसूत्र-२ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्ति:) श्रुतस्कंध [२.], अध्ययन [२], उद्देशक -], मूलं [३८], नियुक्ति: [१६८] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[०२], अंग सूत्र-०२] “सुत्रकृत्” मूलं एवं शिलांकाचार्य-कृत् वृत्तिः प्रत सूत्रांक [३८] दीप अनुक्रम [६७०] Paeseseseredaceaeeeesex वलद्धे माणावमाणणाओ हीलणाओ निंदणाओ खिंसणाओ गरहणाओ तजणाओ तालणाओ उच्चावया गामकंटगा बावीसं परीसहोवसग्गा अहियासिज्जति तमटुंआराहंति, तमटुं आराहित्ता चरमेहिं उस्सासनिस्सासहि अणतं अणुत्तरं निवाघातं निरावरणं कसिणं पडिपुण्णं केवलवरणाणदंसणं समुप्पाडेंति, समुप्पाडित्ता ततो पच्छा सिझंति वुझंति मुच्चंति परिणिद्यायंति सबदुक्खाणं अंतं करेंति ॥ एगवाए पुण एगे भयंतारोभवंति, अवरे पुण पुचकम्मावसेसेणं कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तंजहा-महहिएम महज्जुतिएच महापरक्कमेसु महाजसेसु महाबलेसु महाणुभावेसु महामुक्खेसुते णं तत्थ देवा भवंति महहिया महज्जुतिया जाव महासुक्खा हारविराइयवच्छा कडगतुडियधंभियभुया अंगयकुंडलमट्टगंडयलकन्नपीढधारी विचित्तहत्याभरणा विचित्तमालामउलिमउडा कल्लाणगंधपवरचत्वपरिहिया कल्लाणगपवरमल्लाणुलेवणधरा भासुरबोंदी पलंबवणमालधरा दिवेण रूपेणं विषेणं वनेणं दिवेणं गंधेणं दिवेणं फासेणं दिवेणं संघाएणं दिवेणं संठाणेणं दिवाए इडीए दिवाए जुत्तीए दिवाए पभाए दियाए छायाए दिवाए अचाए दिवेणं तेएणं दिवाए लेसाए दस दिसाओ उजोषमाणा पभासेमाणा गइकल्लाणा ठिइकल्लाणा आगमेसिभहया यावि भवंति, एस ठाणे आयरिए जाव सबदुक्खपहीणमग्गे एगंतसम्मे सुसाह । दोच्चस्स ठाणस्स धम्मपक्वस्स विभंगे एवमाहिए ॥ सूत्रं ३८॥ 88889929890888 ~671
SR No.004102
Book TitleAagam 02 SOOTRAKUT Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages860
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size176 MB
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