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________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति से केयणं अरिहए पूरइत्तए। 18 अर्थात, यह मनुष्य अनेकचित्त है, अर्थात अनेकानेक कामनाओं के कारण मनुष्य का चित्त (मन) बिखरा हुआ है। इन कामनाओं की पूर्ति का प्रयास तो छलनी को भरने के प्रयास के समान है। इच्छाओं, आकांक्षाओं और कामनाओं का जन्मस्थल मन ही है और जब ये कामनाएँ खत्म नहीं होती, या पूर्ण नहीं होती, तो मन में तनाव उत्पन्न होता है। तनाव और मन का सम्बन्ध बताते हुए तथा तनाव. आने पर मन । को किस प्रकार संयमित रखना चाहिए, यह बताते हुए लिखा है -"दुक्खेन पुढे धुयमायएज्जा, 189 अर्थात् दुःख आ जाने पर भी मन पर संयम रखना चाहिए। कहने का तात्पर्य यही है कि तनावग्रस्त होने पर भी मन में संयम रखने पर तनावमुक्त स्थिति प्राप्त होती है। तनाव. से ही बचने के लिए कहा गया है -'न सव्व सव्वत्थभिरोयएज्जा, हर कहीं, हर किसी वस्तु में मन को मत लगा बैठिए ।190 तनाव से मन या चित्तवृत्ति प्रभावित होती है और प्रभावित चित्तवृत्ति शरीर में तनाव उत्पन्न करती है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ का भी यही मानना है कि शारीरिक रोगों का कारण मनोभाव ही है और ये मनोभाव ही शरीर में तनाव उत्पन्न करते हैं।" . अतः, जैनदर्शन को यह मानने में कोई बाधा नहीं आती है कि तनाव एक मनोदैहिक- अवस्था है, जिसमें मन और शरीर एक दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं और जब यह प्रभाव अति तीव्र होता है, तो उसको तनाव कहा जाता है। जैनदर्शन न तो स्पिनोज़ा के समान मन और शरीर में समान्तरवाद मानता है और न लाइनिज़ के समान उनमें पूर्व स्थापित सामंजस्यवाद मानता है, अपितु वह डेकार्ट के समान उनमें क्रिया-प्रतिक्रियावाद को स्वीकार करता है। इस प्रकार, तनाव का जन्म मन या मनोवृत्ति में होता है और उसकी अभिव्यक्ति शरीर के माध्यम से होती है। जो लोग दैहिक अवस्था को ही तनाव मान लेते हैं, वे लोग उसके मूल कारण तक नहीं पहुंच पाते हैं। वस्तुतः तनाव 188 आचारांगसूत्र - 1/3/2 सूत्रकृतांगसूत्र - 1/7/29 190 उत्तराध्ययनसूत्र - 21/15 " देखें पुस्तक - चित्त और मन, मन का शरीर पर प्रभाव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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