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________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति 5. वृद्धों की उपेक्षा। 6. सांस्कृतिक- संक्रमण की समस्या। परिवार में तनाव के अन्य कारण - 1. पारिवारिक-हिंसा अर्थात् दूसरों को प्रताड़ित करने की. वृत्ति भी परिवार की अशांति एवं तनाव का कारण बनती है। 123 गेलीज और स्ट्राउस24 एवं कुछ अन्य समाजशास्त्रियों का यह मानना है कि परिवार हिंसा का एक बड़ा केन्द्र है, जहाँ प्रत्येक सदस्य दूसरों पर शासन करना चाहता है। 2. द्विपक्षीय सम्बन्धों की अस्थिरता की प्रवृत्ति भी पारिवारिक सम्बन्धों में तनाव को जन्म देती है।125 3. पारिवारिक जीवन में जन्म, मृत्यु एवं सामाजिक परम्पराओं के निर्वाह के कारण पारिवारिक-संरचना निरन्तर परिवर्तन के दौर से गुजरती रहती है। इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप परिवार में तनाव की अनेक स्थितियाँ पैदा हो जाती हैं। 4. समाज में प्रत्येक परिवार की चाह होती है कि उसके सदस्यों को पर्याप्त मात्रा में भोजन, कपड़ा, आवास आदि की सुविधाएं मिले, किन्तु परिस्थितिवश परिवार के लिए अर्जन करने वाले सदस्यों द्वारा अपेक्षित सुविधाओं के संसाधनों को नहीं जुटा पाने के कारण उस परिवार के सदस्य तनावग्रस्त हो जाते हैं।121 5. जब परिवार में दो भाइयों या अन्य सदस्यों के बीच झगड़ा होता है या कोई परिवार से पृथक् (अलग) होता है, तब भी पूरे परिवार में तनाव का माहौल उत्पन्न हो जाता है। 123 पारिवारिक शांति और अनेकान्त, डॉ. बच्छराज दुग्गड़, पृ. 19 (A) Gelles Richard and Murray A. Stuaus. - Determinats of violence in the family : Toward a theoretical Integration. (b) In W.Burs R. Hill, I-I Nye and | Reias (Eds.); Contemporary theories About the family. (c) new York: Free Press, 1978, पारिवारिक शांति और अनेकांत, पृ. 36 123 Simmel. Georg. Conflict and the web of group affiliations. Free Press, 1955 (1908) ० पारिवारिक शांति और अनेकान्त , डॉ. बच्छराज दुग्गड़, पृ. 19 पारिवारिक शांति और अनेकान्त , डॉ. बच्छराज दुग्गड़, पृ. 26 127 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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