________________
जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति
11.
एक-दूसरे में ईर्ष्या की प्रवृत्ति होना। सदस्यों में अहंकार की वृत्ति उग्र होना।
एक-दूसरे के प्रति विश्वास की कमी। . . 14. रुचि-भेद ।120
15. सदस्यों में स्वार्थी होने की प्रवृत्ति का विकास। परिवार में तनाव उत्पन्न होने के अवैयक्तिक कारण21 -
अवैयक्तिक-कारण भी पारिवारिक अशांति के निमित्त बनते हैं। परिवार में तनाव के कुछ ऐसे भी कारण होते हैं, जो किसी एक सदस्य के द्वारा उत्पन्न नहीं होते हैं, अपितु वे कारण सम्पूर्ण परिवार में तनाव उत्पन्न कर देते हैं। जिनमें से कुछ निम्न हैं - 1. पीढ़ीगत भेद। 2. आर्थिक असंतुलन। 3. सांस्कृतिक अन्तर। 4. पति-पत्नी के सामाजिक-स्तर में अंतर । 5. बच्चों से माता या पिता के सम्बन्ध । 6: व्यावसायिक तनाव/प्रशासनिक प्रताड़ना। 7. अर्थहीन रूढ़िवादिता।
जैनाचार्य महाप्रज्ञजी ने भी कुछ पारिवारिक- समस्याएँ बताई हैं, जो परिवार में कलह का हेतु बनती हैं। वे समस्याएँ निम्न हैं12 - 1. दहेज की समस्या। . 2. तलाक की समस्या। 3. पुरुषार्थ में कमी। 4. परिवार के किसी सदस्य या सदस्यों में नशे की आदत।
परिवार के साथ कैसे रहें ? - आचार्य महाप्रज्ञ, पृ. 22 पारिवारिक शांति और अनेकान्त - डॉ. बच्छराज दुग्गड़, पृ. 18 परिवार के साथ कैसे रहें ?, आचार्य महाप्रज्ञ, पृ. 16, 131-137
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org