SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति हार्नेल तथा हार्ट ने परिवार में पति-पत्नी के सम्बन्ध को लेकर यह समझाने का प्रयत्न किया है कि "दोनों के बीच यौन सम्बन्ध तथा बच्चे का जन्म और पालन-पोषण के अतिरिक्त भी विवाह कोई अन्य व्यवस्था भी है, जहां पारस्परिक - समर्पण एवं त्याग का भाव है। परिवार के संदर्भ में विवाह दो व्यक्तियों का ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें दोनों की आदतें, मित्रता, सम्पत्ति, लक्ष्य, प्रवृत्तियाँ और उनमें निहित शक्तियाँ आदि के विविध तत्त्व निहित होते हैं। जब दोनों सदस्य एक-दूसरे के मध्य तादात्म्य का अनुभव करते हैं, तब ही दोनों के व्यक्तित्व का समग्र विकास होता है, किन्तु वे ही जब एक-दूसरे का निरादर करते हैं, अथवा एक-दूसरे पर अधिकार जताने का प्रयत्न करते हैं, तो विवाह सम्बन्ध भी अभिशाप बन जाता है । "117 68 परिवार के सदस्यों के व्यक्तित्व में जब मतभेद उत्पन्न हो जाता.. है एवं जब वे एक-दूसरे की भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं करते, तो पारिवारिक सम्बन्धों में तनाव उत्पन्न हो जाता है । परिवार में तनाव उत्पन्न होने के वैयक्तिक कारण निम्न हैं 1. व्यक्तित्व की विभिन्न संरचनाएं। 18 2. परिवार के सदस्यों के व्यक्तित्व में उत्पन्न हुई मनोविकृतियाँ | 19 3. परिवार के सदस्यों के स्वभाव में विपरीतता । 4. सदस्यों के मध्य समन्वय का अभाव । 117 118 119 5. 6. 7. 8. 9. 10. - एक-दूसरे के प्रति व्यवहार के भिन्न तरीके | परिवार के मुखिया या माता - पिता में अन्य सदस्यों पर अत्यधिक अनुशासन की प्रवृत्ति । सदस्यों में पारस्परिक सम्बन्धों को समझने का अभाव । सदस्यों में सहयोग व सामंजस्य का अभाव । सहनशीलता का अभाव । सदस्यों के वैचारिक मतभेद । Hornell and Ella Hart, Unsuccessful Marrige" in the wolrd tomorrow (1927) पारिवारिक शांति और अनेकान्त, डॉ. बच्छराज दुग्गड़, पृ. 18 पारिवारिक शांति और अनेकान्त, डॉ. बच्छराज दुग्गड़, पृ. 18 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy