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________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति जैन दर्शन में संसार में परिभ्रमण का मुख्य कारण राग-द्वेष एवं कषाय को ही माना है। उसमें भी राग को मुख्यता दी गई है। कषाय के मुख्यतः दो भेद किये जाते हैं- राग एवं द्वेष । इसी राग एवं द्वेष के आधार से कषाय के चार भेद किये गये हैं। जहाँ राग है, वहाँ माया एवं लोभ है और जहाँ द्वेष है, वहाँ क्रोध एवं मान - कषाय हैं। दशवैकालिकसूत्र में कषाय को दुःख (तनाव) का कारण बताते हुए कहा है- चत्तारि एए कसिणा कसाया सिंचंति मूलाई पुणमवस्स ̈, अर्थात् ये चारों कषाय पुनर्भव अर्थात् जन्म-मरण की जड़ों को सींचते हैं। उत्तराध्ययनसूत्र में भी राग-द्वेष एवं कषाय को ही संसार में बार-बार जन्म मरण का कारण बताया है। संसार के परिभम्रण के कारण राग-द्वेष हैं और राग-द्वेष के कारण तनाव है, क्योंकि राग-द्वेष एवं तद्जन्य कषाय व्यक्ति के दुःख के कारण हैं । दुःख के कारण व्यक्ति विलाप अर्थात् आर्त्तध्यान करता है। सदैव आर्त्त एवं रौद्र ध्यान करता हुआ व्यक्ति कर्मों को बांघता है, जो संसार में पुनर्जन्म का हेतु बनते हैं। जैनदर्शन के ग्रन्थों में राग-द्वेष व कषाय को ही व्यक्ति के दुःख का मूलभूत कारण माना गया है और यह दुःख ही तनाव है। जैन ग्रन्थों में इस बात को किस प्रकार सिद्ध किया गया है, इसकी चर्चा आगे के अध्यायों में करेंगे। (ख) आचारांग में राग द्वेष व कषाय . आचारांग के दूसरे अध्ययन के पहले उद्देशक का नाम 'लोक-विजय' है। लोक का सामान्य अर्थ संसार होता है, अर्थात् जहाँ लोग रहते हैं, वह लोक है, किन्तु यहाँ लोक का अर्थ संसार से भिन्न है। यहाँ लोक का अर्थ है - वे मनोभाव या वृत्तियाँ, जिससे प्राणी का संसार में परिभ्रमण होता है, अर्थात् राग-द्वेष व कषाय-भाव । 43 विजय का अर्थ है- 'जीतना' । लोक-विजय का अर्थ हुआ : राग और द्वेष व कषाय को जीतना, उनसे ऊपर उठना या मुक्त होना । व्यक्ति के कर्मबंध का, उसके संसार में परिभ्रमण का मुख्य कारण राग और द्वेष हैं और जैनदर्शन के अनुसार यही कारण व्यक्ति के तनावयुक्त 56 दशवैकालिकसूत्र - 8/40 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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