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________________ 248 4. जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति संसारानुप्रेक्षा - चतुर्गतिरूप संसार की दशा का चिन्तन करना । तनावयुक्त व्यक्ति धर्मध्यान के आलम्बनों का सहारा लेकर तनाव से मुक्त होने का प्रयत्न करता है, किन्तु असफलता के कारण कभी-कभी ऐसी परिस्थिति का भी सामना करना पड़ता है, जहाँ धर्मध्यान से उसकी श्रद्धा डगमगाने लगती है और वह अधिक तनावग्रस्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में भी तनावमुक्ति के साधनों, जैसे- शास्त्र, गुरुवचन आदि पर श्रद्धा रखने के लिए अनुप्रेक्षा को भी नित्य नियम से करना आवश्यक है शुक्लध्यान - धर्मध्यान के बाद शुक्लध्यान का क्रम है। डॉ. सागरमलजी जैन लिखते हैं- " शुक्लध्यान के द्वारा मन को शान्त और निष्कम्प किया जाता है। 487 तनाव की जन्मस्थली मन है और मन का 'अमन होना ही तनावमुक्ति है। शुक्लध्यान में मन अमन हो जाता है, अर्थात् मन में इच्छाएँ - आकांक्षाएँ या अन्य कोई विकल्प नहीं रह जाते हैं, जो व्यक्ति. को तनावग्रस्त बनाते हैं। इसमें चित्त शांत हो जाता है। यही कारण है कि जैनदर्शन में मुक्ति का अन्तिम साधन शुक्लध्यान माना गया है। शुक्लध्यान के अंतिम चतुर्थ चरण को प्राप्त व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त कर लेता है, जो कि आत्मा का अंतिम लक्ष्य है। तनावमुक्ति का लक्ष्य रखते हुए व्यक्ति शुक्लध्यान की प्रथम अवस्था से क्रमशः आगे बढ़ते हुए अन्त में सिद्धावस्था अर्थात् पूर्णतः तनावमुक्ति की अवस्था को प्राप्त कर लेता है। स्थानांगसूत्र में शुक्लध्यान की चार अवस्थाएँ बताई गई हैं। ये चार अवस्थाएँ ही शुक्लध्यान के चार प्रकार भी कहेग Jain Education International 1. पृथक्त्ववितर्क-सविचार इस ध्यान में ध्याता के चित्त में विचार तो रहते हैं, परन्तु चित्त में चंचलता नहीं रहती है। व्यक्ति किसी वस्तु पर चित्त को केन्द्रित करता है, उसका विश्लेषण करता है, जैसे किसी एक ही वस्तु के किसी एक गुण - विशेष का चिन्तन करता है, तो कभी उसकी विविध अवस्थाओं या पर्यायों का चिन्तन करता है । - - 487 जैन साधना पद्धति में ध्यान, डॉ. सागरमल जैन, पृ. 30 488 स्थानांगसूत्र - 4/1/69 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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