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________________ 220 जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण देकर अपना मानसिक-बोझ एवं उलझनें कम कर लेते हैं।420 (iv) विस्थापन - तनाव को कम करने के लिए व्यक्ति अपने कार्य को रूपान्तरित कर देता है। विस्थापन में व्यक्ति अपना तनाव उस व्यक्ति या वस्तु पर प्रतिक्रिया करके निकालता है, जिससे कोई खतरा या डर न हो, जैसे- व्यापार में हुई हानि से उत्पन्न तनाब को व्यक्ति अपने परिवार पर क्रोध आदि करके कम करता है। (v) अस्वीकार – जब बाहरी वास्तविकता अधिक दुःख देने वाली हो, या . तनाव नियंत्रण के बाहर हो, तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति उस वास्तविकता को मानने से इंकार करके अपने तनाव को कम करता है, जैसे- वह व्यक्ति जिससे वह प्रेम करता है, इस दुनिया में ही नहीं है। (vi) बौद्धिकीकरण - जैसे एक डॉक्टर जिसे लगातार रोगियों की .. जिन्दगी और मौत से जूझना पड़ता है, ऐसी परिस्थिति में उसे तनाव . उत्पन्न होता है, परन्तु वह सांवेगिक न होकर निर्लिप्तता से उनका (रोगियों) का इलाज करता है। यहां कहने का तात्पर्य यही है कि बौद्धिकीकरण में व्यक्ति उस तनावपूर्ण परिस्थिति के बारे में . सांवेगिक-ढंग से न सोचकर उसके प्रति निर्लिप्तता विकसित कर लेता है, जिससे उसका तनाव कम हो जाता है। तनाव को कम करने के लिए उपर्युक्त मनोवैज्ञानिक उपाय मात्र सुझावात्मक हैं। तनाव को नियंत्रण में कैसे करना, वह तनाव के स्वरूप पर निर्भर होता है। रोबर्ट एस. फेल्डमेन ने तनाव को नियंत्रित करने के विभिन्न उपायों पर भी प्रकाश डाला है, वे लिखते हैं 421 - 1. When a stressful situation might be controllable, the best coping strategy is to treat the situation as a challenge. Focusing on way to control it. अर्थात्, जब तनाव की स्थिति को नियंत्रित करना हो तो सबसे उचित तरीका है कि उस स्थिति को चुनौती के रूप में स्वीकार कर स्थिति को नियंत्रण करें। 2. Make a threating situation less threatening-: When a stressful situation seems to be uncontrollable a different approach must be taken. It is possible to change your appraisal 420 आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान, अरूणकुमार सिंह, पृ. 263 · 421 Understanding Psychology, Robers, Feldmen, P. 453 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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