________________
जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति
215
मनोवैज्ञानिक-विधि द्वारा तनावमुक्ति
___ तनावमुक्ति के लिए सबसे अधिक प्रचलित उपाय मनोवैज्ञानिकों द्वारा सुझाये गये हैं। मनोवैज्ञानिकों ने तनाव कम करने के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष- दों प्रकार की विधियों का वर्णन किया है। तनाव कम करने की ये विधियाँ व्यक्ति को कुछ समय के लिए या अधिक समय के लिए परिस्थितियों के साथ समझौता करने के लिए या समझौता नहीं करने के लिए प्रस्तुत की गई हैं, लेकिन इनका उद्देश्य तनाव को कम करना ही है। 14 प्रत्यक्ष विधियाँ – प्रत्यक्ष विधियों का प्रयोग तनाव कम करने के लिए नहीं, अपितु तनाव को पूर्णतः समाप्त करने के लिए होता है। ये विधियां निम्न हैं(अ) बाधा का निवारण - तनाव तब उत्पन्न होता है, जब हमारे उद्देश्य की पूर्ति में कोई बाधा आ जाती है। इस विधि के अन्तर्गत व्यक्ति उस बाधा का निवारण करने का प्रयत्न करता है और तनाव- मुक्त होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है, जैसे- एक हकलाने वाला व्यक्ति अपने दोष से मुक्त होने के लिए मुंह में पान रखकर बोलने का प्रयास करके उसमें सफलता प्राप्त करता है। 15 (ब) अन्य उपाय की खोज - इस विधि के अनुसार, व्यक्ति जब उद्देश्य-प्राप्ति में आने वाली बाधा का निवारण नहीं कर पाता है, तो वह कोई ऐसा दूसरा उपाय खोजने लगता है, जिसमें उसे सफलता मिल सके। इस प्रकार, व्यक्ति का उद्देश्य तो वही रहता है, सिर्फ वह उसे प्राप्त करने का तरीका बदल देता है, जैसे- द्रोणाचार्य ने जब एकलव्य को शिष्य बनाने से इनकार कर दिया, तब एकलव्य ने उनकी प्रतिमा बनाकर उसे गुरु माना और अपने लक्ष्य की प्राप्ति की। अरूणकुमार सिंह के शब्दों में-"जब व्यक्ति किसी तनावपूर्ण घटना पर अपना नियंत्रण कायम करने में सफल होता है, तो इसमें तनाव की गंभीरता अपने-आप कम हो जाती है। व्यक्ति तनाव उत्पन्न करने वाली परिस्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए समस्या का विकल्प ढूँढता है।"416
-
413 Gates and other - Education Psychology, P. 692
श्रमण, डॉ. सुधा जैन, जनवरी-मार्च, 1997, पृ. 9 41 श्रमण, डॉ. सुधा जैन, जनवरी-मार्च 1997. पृ. 10 416 आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान, पृ. 262
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org