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जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति
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प्रत्येक व्यक्ति के अंदर तनाव को पूर्णतः खत्म करने की और उसे उत्पन्न करने की ताकत को क्षीण करने की भी शक्ति होती है। इस शक्ति को विवके-चेतना कहते हैं। जब तक इस चेतना का । जागरण नहीं होता, तब तक व्यक्ति का मन तनावग्रस्त होता है। चैतन्य केन्द्रों की प्रेक्षा के द्वारा इस चेतन-शक्ति को जाग्रत किया जाता है, जो व्यक्ति के मानसिक संतुलन को बनाए रखती है। चैतन्य केन्द्र की श्रृंखला में निम्नलिखित केन्द्र हैं, साथ ही, उनका स्थान और वे किस अन्तःस्रावी-ग्रन्थि के साथ संबंधित हैं, यह भी नीचे बताया गया है18
क्रमांक | नाम
ग्रन्थि से संबंध
स्थान
| शक्ति- केन्द्र | गोनाड्स पृष्ठ-रज्जु के नीचे
(कामग्रन्थि) के छोर पर | स्वास्थ्य केन्द्र | गोनाड्स(कामग्रन्थि) पेडू (नाभि से चार
अंगुल नीचे का भाग) | तैजस-केन्द्र | एड्रीनल, पेन्क्रियाज | नाभि | आनंद-केन्द्र थायमस
हदय के पास
बिल्कुल बीच में . विशुद्धि-केन्द्र | थाइराइड, कण्ठ के मध्य भाग
पेराथाइराइड .. ब्रह्म-केन्द्र रसनेन्द्रिय जिह्वाग्र . प्राण-केन्द्र घ्राणेन्द्रिय
नसाग्र चाक्षुष-केन्द्र चक्षुरिन्द्रिय आँखों के भीतर | अप्रमाद-केन्द्र | श्रोत्रेन्द्रिय कानों के भीतर
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378. प्रेक्षा ध्यान, चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा पृ. 20
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