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________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति ही उसकी तनावमुक्ति है। व्यक्ति की तनावमुक्ति से सामाजिक- शांति और सामाजिक- शांति से विश्व-शांति होगी।" शरीरप्रेक्षा 192 आत्मा के द्वारा आत्मा को देखें- इसका अर्थ यही है कि चित्त या मन के द्वारा आत्मा (अपनी वृत्तियों) को देखना। जब हम देखना प्रारम्भ करते हैं, तो सबसे पहले आता है - शरीर । आत्मा सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त है। एक अंगुली भी हिलती है, तो उसमें आत्मा है। जब आत्मा नहीं होती है, तो शरीर निर्जीव हो जाता है। स्याद्वादमंजरी में लिखा है'आत्मा सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त है। 369 इसलिए, पूर्णतः तनावमुक्त अवस्था को पाने के लिए हमें आत्मा (अपनी चित्तवृत्तियों) का साक्षात्कार करना होगा और आत्मा का साक्षात्कार करने के लिए मन की चंचलता को शांत कर, इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करना होगा, जो कि शरीरप्रेक्षा से ही सम्भव है।' - शरीरप्रेक्षा आध्यात्मिक - प्रक्रिया है, साथ-ही-साथ मानसिक और शारीरिक - प्रक्रिया भी है। शरीरप्रेक्षा करने वाला साधक शरीर के प्रति जागरूक हो जाता है। जब शरीर के प्रति सजगता आती है, तो व्यक्ति शरीर से जुड़ी इन्द्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है और इन्द्रियों पर नियंत्रण ही तनावमुक्ति का मार्ग है। "जैन आगमों के अनुसार, जितने परमाणु या जितने पुद्गल बाहर से आत्मा द्वारा ग्रहण किये जाते हैं, उनको लेने का एकमात्र माध्यम है- हमारा शरीर ।" 370 "मन और वाणी का भी शरीर से पृथक् कोई अस्तित्व नहीं है, बाह्य अस्तित्व एकमात्र शरीर है। 371 शरीर जब प्रतिक्रिया करता है, तो मन को चंचल या अशांत बनाता है, इसलिए तनावमुक्ति के लिए सर्वप्रथम प्रेक्षा की प्रक्रिया अपनाकर आत्मदर्शन करना चाहिए, तनावमुक्ति का अनुभव करना 369 स्याद्वमत्रजरी, श्री मल्लिप्रेणसूरिषेणीता, 9 पृ.69 नोट:- श्वासप्रेक्षा की पूर्ण प्रक्रिया के लिए देखें, प्रेक्षाध्यान प्रयोग पद्धति, आचार्य महाप्रज्ञ, पृ. 13,14 370 प्रेक्षाध्यान शरीर प्रेक्षा, आ. महाप्रज्ञ, पृ.31 चेतना का ऊर्ध्वरोहण, पृ. 39 371 . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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