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जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति
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विधि - भूमि पर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों को मिलाएं। हाथों को सिर के दोनों ओर ऊपर उठाएं और पंजों पर खड़े होकर हाथों को तनाव दें। तनाव देते समय श्वास भरें। हाथ नीचे लाते समय श्वास
छोड़ें।
समय - आधा मिनट से तीन मिनट। शीर्षासन का विपरीत आसन भी है। शीर्षासन का दो तिहाई समय इसमें लगाएं। लाभ - इस आसन से ऊँचाई बढ़ती है। कब्ज दूर होती है। पेट और कूल्हों की स्थूलता घटती है। आलस्य दूर होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह विशेष उपयोगी है। इस आसन को वे पूरे गर्भकाल तक भी कर सकती हैं। इससे स्थिरता बढ़ती है। स्नायु-दुर्बलता मिटती है। बैठकर किए जाने वाले आसन । 1. सुखासन -
जिस आसन में सुखपूर्वक बैठा जाए, उसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन किसी विशेष आसन का प्रकार नहीं है। जो आसन लम्बे समय तक सुखपूर्वक किया जा सके, वही सुखासन है। विधि - आसन पर सुखपूर्वक बैठे।
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