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________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति तनावमुक्ति के लिए कुछ मुख्य आसन - विधियाँ आचार्य महाप्रज्ञ के निर्देशन में तैयार की गई हैं, इनमें से कुछ निम्न हैं-342. खड़े रहकर किए जाने वाले आसन : 172 1. समपादासन विधि - सीधे खड़े रहें । गर्दन, रीढ़ और पैर तक सारा शरीर सीधा और सम रेखा में रहे। दोनों पैरों को सटाकर रखें । दोनों हाथों को सीधा रखें। हथेलियों को जांघों से सटाकर रखें। समय कम से कम तीन मिनट और सुविधानुसार यह कुछ घण्टों तक किया जा सकता है। — — लाभ 1. शारीरिक धातुओं को सम रखता है। 2. शुद्ध रक्तसंचार में सुविधा होती है। 3. मानसिक - एकाग्रता आती है। 4. इस आसन से उच्चकोटि का कायोत्सर्ग किया जा सकता है। 2. ताड़ासन ताड़, समुद्र के किनारे पर पाया जाने वाला प्रलम्ब पेड़ होता है । पंजों पर खड़े होकर हाथों को ऊपर की ओर फैलाने से शरीर की आकृति ताड़ के पेड़ जैसी हो जाती है, इसलिए इसे ताड़ासन कहते हैं । - Jain Education International 342 प्रेक्षाध्यान आसन-प्राणयाम, मुनि किशनलाल पृ. 7 से 59 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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