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________________ 170 जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति आत्मा या चेतना को तनावमुक्त करने के पहले मन और शरीर को तनावमुक्त करना होगा। शरीर को स्वस्थ या तनावमुक्त रखने के लिए. व्यायाम की आवश्यकता है। व्यायाम में शरीर को हरकत देकर ही तंदुरूस्त अर्थात तनावमुक्त किया जा सकता है, साथ ही, सुबह की ठंडी एवं शुद्ध हवा में किये गये व्यायाम के द्वारा मन को शांति का अनुभव होता है। .. योग शरीर को स्वस्थ अर्थात् तनावमुक्त बनाता है। इससे शरीर के साथ-साथ मन और आत्मा (चेतना) को भी शान्ति मिलती है, यह आध्यात्मिक अनुभव देता है और अंततः मोक्ष का साधन बनता है। मोक्ष पूर्णतः तनावमुक्ति की अवस्था ही है। निःसंदेह मन चंचल है और तनावों का मुख्य जन्मस्थल है। इसे वश में करना अत्यंत कठिन है, फिर भी ध्यान के निरन्तर अभ्यास से, अर्थात् सतत जागरूकता से मन की या चित्तवृत्ति की चंचलता का निरोध सम्भव है, किन्तु ध्यान में शरीर की स्थिरता होना भी आवश्यक है। शारीरिक-स्थिरता के लिए शरीर का तनावमुक्त होना जरूरी है, तब ही लम्बे समय तक एक ही स्थान पर स्थिर होकर बैठना सम्भव है। यह आसन के अभ्यास के द्वारा ही सम्भव हो सकता है। आसन केवल शारीरिक-प्रक्रिया मात्र नही है, उसमें अध्यात्म के बीज छिपे हैं। ध्यान लगाने के लिए तथा मन को शांत करने या तनावमुक्त करने के विशेष उद्देश्य से ही योगविद्या में विभिन्न आसनों का वर्णन किया गया है। इनको एक बार सिद्ध करने के बाद आप उनमें बिना किसी प्रयत्न के लंबे समय तक स्थिर होकर बैठ सकते हैं। इन आसनों में आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी और सही रूप में रहती है और वह शरीर को तनाव मुक्त बनाती है। ऐसे कुछ आसनों के नाम हैं- पद्मासन, सिद्धासन, वज्रासन, सुखासन आदि। इन आसनों में एक बार कुछ समय तक स्थिर बैठने के बाद मन एकाग्र, शांत व नियंत्रित होने लगता है। जैनागमों में भी अनेक प्रकार के आसनों का नाम निर्देश किया है, जैसेवीरासन, कमलासन, वजासन, भद्रासन, दण्डासन, उत्काटिकासन, गोदाहासन, सुखासन। . योग एक वरदान, डाक्टर द्वारकाप्रसाद, पृ. 48 338 औपा.स. ब्राहत सू. 19 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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