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4. तेजो - लेश्या
यह मनोदशा शुभ होती है। इस लेश्या से युक्त व्यक्ति पूर्णतः तनाव से मुक्त तो नहीं होता, लेकिन उसके तनावों का स्तर अपेक्षाकृत मन्द होता है। ऐसे व्यक्ति में इच्छाएं और आकांक्षाएँ तो होती है, किन्तु उनकी पूर्ति के लिए वह किसी दूसरे व्यक्ति को आघात पहुंचाने में संकोच करता है। वह दूसरों का अहित उसी स्थिति में करता है, जब उसके हित को चोट पहुंचती है । इच्छा पूर्ण न होने पर वह स्वयं को तनावग्रस्त महसूस करने लगता है, लेकिन उसके लिए दूसरों को अधिक कष्ट नहीं देता चाहता है। ऐसे व्यक्ति नम्र वृत्ति वाला, अचपल, माया से रहित, विनयवान्, गुणवान्, धर्मप्रेमी, दृढधर्मी, पापभीरू और हितैषी होते है ।' 319 कार्य-अकार्य का ज्ञान, श्रेय - अश्रेय का विवेक, सबके प्रति समभाव, दया–दान में प्रवृत्ति - ये पीत या तेजोलेश्या वाले व्यक्ति के लक्षण हैं | 320
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ऐसा व्यक्ति गुणवान, दयालु, करुणायुक्त और सामंजस्य रखने वाला होता है, किन्तु जब कोई दूसरा व्यक्ति उसका अहित या नुकसान पहुंचाने पर उतारू हो जाए, तो वह भी उस व्यक्ति का अहित करने में पीछे नहीं हटता है। ऐसी प्रवृत्ति करते समय व्यक्ति स्वयं को तनावग्रस्त अनुभव करता है और उससे पीछे हटने का प्रयत्न भी करने लगता है, क्योंकि वह तनाव का इच्छुक नहीं होता। जैसे कोई अहिंसक व्यक्ति डाकुओं द्वारा अपहरण कर लिया गया हो और उसे मृत्यु के घाट उतारा जाए, तो ऐसी स्थिति में वह स्वयं की सुरक्षा के लिए उनके अहित का इच्छुक न होते हुए भी उन डाकुओं को मारने में प्रवृत्त होता है ।
उपर्युक्त लक्षणों के आधार पर हम यह भी कह सकते हैं कि तेजोलेश्या वाला व्यक्ति हिंसक कार्य या दुष्ट प्रवृत्ति भले ही न करे, पर इच्छाओं, आकांक्षाओं के कारण तनावग्रस्त तो रहता ही है। 5. पद्म - लेश्या
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जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति
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इस लेश्या वाले व्यक्ति की मनोवृत्ति में पवित्रता की मात्रा तेजो - लेश्या से कुछ अधिक होती है। ऐसा व्यक्ति शुद्ध भावना वाला होता है। सामान्यतया, वह व्यक्ति प्रायः तनावों से मुक्त रहता है और पूर्णतः तनावमुक्ति के लिए अग्रसर होता है। उसका मानसिक संतुलन
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उत्तराध्ययनसूत्र - 34/27-28
गोम्मटसार, जीवकाण्ड
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