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जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति
जितना क्रोध करता है, उतना ही उसका तनाव बढ़ता जाता है। क्रोध एक ऐसा मनोविकार है, जिसके उत्पन्न होने पर शारीरिक एवं मानसिकदोनों ही संतुलन विकृत हो जाते हैं। व्यक्ति को इतना भी विवेक नहीं रहता है कि वह क्या कर रहा है, या क्या बोल रहा है? क्रोध भी तभी उत्पन्न होता है, जब व्यक्ति की इच्छाओं - आकांक्षाओं की पूर्ति नहीं होती, अथवा उनकी पूर्ति में बाधा उपस्थित की जाती है, या फिर जब उसके अहंकार को कोई ठेस पहुंचती है। ऐसी स्थिति में भी उसका मानसिक संतुलन भंग हो जाता है, जिसकी अभिव्यक्ति क्रोध से होती है । हम यह भी कह सकते हैं कि क्रोध तनाव की एक स्थिति है। क्रोध की उपस्थिति ही स्वयं अपने-आप में एक तनाव है। 'जैन- विचारणा में सामान्यतया क्रोध के दो रूप माने हैं 1. द्रव्य क्रोध एवं 2 भाव - क्रोध | 200 शारीरिक स्तर पर जो क्रोध होता है, वह द्रव्य-क्रोध है एवं विचारों या मनोभावों के स्तर पर जो क्रोध होता है, वह भाव- क्रोध है । द्रव्य क्रोध शारीरिक तनाव उत्पन्न करता है, तो भाव-क्रोध मानसिक तनाव को पैदा करता है। इनमें प्रथम, द्रव्य-क्रोध शारीरिक तनावों का हेतु है, तो दूसरा, भाव- क्रोध मानसिक तनाव का परिचायक है। वस्तुतः, शारीरिक- तनाव का प्रभाव भी मन पर पड़ता है, किन्तु इसकी संभावना भाव - क्रोध की अपेक्षा से कम ही होती है। मानसिक - क्रोध या तनाव शरीर और मन दोनों को तनावग्रस्त कर देता है। योगशास्त्र में आचार्य हेमचन्द्र ने क्रोध का स्वरूप वर्णित करते हुए कहा है - "क्रोध शरीर और मन को संताप देता है, क्रोध वैर का कारण है, क्रोध दुर्गति की पगडण्डी है और मोक्षमार्ग में अर्गला के समान है।" 261 तनावमुक्ति में क्रोधरूपी तनाव बाधक है। क्रोध में अन्धा हुआ व्यक्ति सत्य, शील और विनय का नाश कर डालता है। 202 क्रोध और तनाव की एकरूपता हम इस प्रकार भी समझ सकते हैं- क्रोध और तनाव- दोनों ही 'पर' के निमित्त से होते हैं। इसमें 'पर' को नष्ट करने के भाव उत्पन्न होते हैं, किन्तु हम दूसरे को तनावग्रस्त बना पाए या नहीं, इस सोच से स्वयं की शांति तो भंग हो ही जाती है। इसी आशय वाला कथन ज्ञानार्णव में भी मिलता है। ज्ञानार्णव में क्रोध से हानि बताते हुए शुभचन्द्र लिखते हैं - "क्रोध में सर्वप्रथम स्वयं का चित्त अशान्त होता है, भावों में कलुषता छा जाती है,
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260 भगवतीसूत्र - 12/5/2 261 योगशास्त्र, प्रकाश - 4, गाथा-9 प्रश्नव्याकरणसूत्र - 2/2
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