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जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति
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और प्रशस्त रागभाव संज्वलन कषाय के क्षय होते ही केवलज्ञान को प्राप्त हो गए। अल्प समय का यह शोकरूप तनाव संज्वलन-कषाय के उदय के परिणामस्वरूप ही था।
कषायों के ये चार भेद कषायों के स्तर को ही बताते हैं। तीव्रतम, तीव्र, मंद और मन्दतम की अपेक्षा से ही कषायों के ये चार भेद किए गए हैं और ये ही चार स्तर तनाव के भी होते हैं। कषाय जितना तीव्रतम होगा, व्यक्ति के तनाव का स्तर भी उतना ही ज्यादा होगा।
क्र. | कषाय
तनाव का स्तर
कषाय का स्तर
1. | अनन्तानुबंधी
तीव्रतम
| तीव्रतम (व्यक्ति का मानसिक संतुलन खो जाना)
| अप्रत्याख्यानी
तिव्र
तीव्र
(मानसिक-संतुलन का विकृत
होना)
3. | प्रत्याख्यानावरण | मन्द
मनसिक-संतुलन को बनाए रखने का प्रयास
4. संज्वलन
मन्दतम
तनाव बिल्कुल मन्दतम (मानसिक-संतुलन का बना रहना)
कषायों के विभिन्न प्रकार और तनाव - (अ) क्रोध -
क्रोध एक मानसिक-आवेग है, जो शारीरिक गतिविधियों द्वारा प्रकट होता है.। क्रोध व्यक्ति की तनावग्रस्तता का सूचक कहा जाता है, क्योंकि तनावग्रस्त व्यक्ति के मनोभावों की अभिव्यक्ति क्रोध के माध्यम से होती है। क्रोध में व्यक्ति विवेकशून्य हो जाता है। तनावग्रस्त व्यक्ति
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