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________________ ३०५ आचार-(विरति-संवर) पाँच व्रतों की पच्चीस भावनाए आचारांग (भावना अध्ययन) (समवायांग-समवाय २५) अहिंसा महाव्रत अहिंसा महाव्रत १ ईर्यासमिति १ ईर्यासमिति २ मनपरिज्ञा २ मनोगुप्ति ३ वचनपरिज्ञा ३ वचनगुप्ति ४ आदान-निक्षेपण समिति ४ आलोक पान-भोजन ५ आलोकित पान-भोजन ५ आदान भांड मात्र निक्षेपणा समिति सत्य महाव्रत सत्य महाव्रत १ अनुवीचि भाषण १ अनुवीचि भाषण २ क्रोध प्रत्याख्यान २ क्रोध-विवेक (क्रोध का त्याग) ३ लोभ प्रत्याख्यान ३ लोभ-विवेक (लोभ का त्याग) ४ भय प्रत्याख्यान (अभय) ४ भय-विवेक (भय का त्याग) ५ हास्यप्रत्याख्यान ५ हास्य-विवेक (हास्य का त्याग) अचौर्य महाव्रत अचौर्य महाव्रत १ अनुवीचि मितावग्रह याचन १ अवग्रहानुज्ञापनता २ अनुज्ञापित पान-भोजन २ अवग्रह सीमा परिज्ञान ३ अवग्रह-अवधारण ३ स्वयं अवग्रह अनुग्रहणता ४ अभीक्षण अवग्रह याचन ४ साधर्मिकों से अवग्रह की याचना तथा परिभोग ५ साधर्मिक के पास से अवग्रहयाचन ५ साधारण भोजन को आचार्य आदि को बताकर परिभोग करना। ब्रह्मचर्य महाव्रत __ ब्रह्मचर्य महाव्रत १ स्त्री कंथावर्जन १ स्त्री पशुनपुंसक युत शयानासन-वर्जन २ स्त्री-अंग-प्रत्यंग अवलोकन वर्जन २ स्त्री कथा वर्जन ३ पूर्वभुक्तभोगस्मृति वर्जन ३ स्त्री-इन्द्रिय अवलोकन वर्जन ४ अतिमात्र व प्रणीत पान-भोजन वर्जन ४ पूर्व-भुक्त पूर्वक्रीड़ित भोगस्मरण वर्जन ५ स्त्री-पशु-नपुंसक संसक्त शयनासन ५ प्रणीत आहार वर्जन वर्जन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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