SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 262
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३८ तत्त्वार्थ सूत्र : अध्याय ५ : सूत्र २३-२८ (पुद्गल में पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध, आठ स्पर्श होते है।) (शब्द, अन्धकार, उद्योत, प्रभा, छाया, आतप, वर्ण, रस, गन्ध, और स्पर्श पुद्गलों के लक्षण है । एकत्व, पृथक्त्व, संख्या, संस्थान, संयोग और विभाग पुद्गल पर्यायों के लक्षण हैं ।) दुविहा पोग्गला पण्णत्ता तं. जहा-परमाणु पोग्गला नोपरमाणुपोग्गला चेव । - स्थानांग, स्थान २, उ. ३, सूत्र ८२ (पुद्गल दो प्रकार के होते हैं - परमाणु पुद्गल और नोपरमाणु पुद्गल) एगत्तेण पुहत्तेण खन्धा या परमाणुणो । लोएगदेसे लोए य भइयव्वा ते उ खेत्तओ || -उत्तरा. ३६/११ (परमाणु एकत्वरूप होने से अर्थात् अनेक परमाणु एकरूप में परिणत होकर स्कन्ध बन जाते हैं और स्कन्ध पृथक्रूप होने से परमाणु बन जाते हैं. (यह द्रव्य की अपेक्षा से है) (क्षेत्र की अपेक्षा से) वे (स्कन्ध और परमाणु) लोक के एकदेश में तथा (एकदेश से लेकर) सम्पूर्ण लोक में भाज्य (असंख्य विकल्पात्मक) हैं। दोहिं ठाणे हिं पोग्गला साहण्णंति, तं जहा-सई वा पोग्गला साहन्नति परेण वा पोग्गला साहन्नंति, सई वा पोग्गला भिज्जंति परेण वा पोग्गला भिज्जति । - स्थानांग, स्थान २, उ. ३, सूत्र ८२ (दो प्रकार से पुद्गल एकत्रित होकर मिलते हैं - या तो स्वयं मिलते हैं अथवा दूसरे के द्वारा मिलाये जाते हैं, या तो पुदगल स्वयं भेद को प्राप्त होते हैं अथवा दूसरों के द्वारा भेद को प्राप्त होते हैं ।) पुद्गल का विवेचन - स्पर्शरसगन्धवर्णवन्त : पुद्गला : २३। शब्दबन्धसौक्ष्म्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायातपोद्योत वन्तश्च ।२४। अणवःस्कन्धाश्च ।२५। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy