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________________ २१८ तत्त्वार्थ सूत्र : अध्याय ४ : सूत्र ४८-५३ जब उपरोक्त को (१०) १४ से गुणित किया जाता है तो संवादी सागर का मान प्राप्त हो जाता है । ३ करोड़, ८१ लाख, २७ हजार ९७० मन वजन का एक भार होता है । ऐसे १००० भार अर्थात् ३८ अरब, १२ करोड़, ७९ लाख, ७० हजार मन वजन का लोहे का गोला ६ मास, ६ दिन, ६ प्रहर और ६ घड़ी में जितनी दूरी तय करे, उतनी लम्बी दूर एक रज्जु की होती है। ऐसे १४ रज्जु प्रमाण यह लोक ऊपर से नीचे पर्यन्त है । इस कथन को आधार मानकर वैज्ञानिकों ने रज्जु का प्रमाण निकालने का प्रयास किया है । वैज्ञानिक मान्यता है कि लोहे के गोले की ऊपर से नीचे की ओर गति ७८५५२ मील प्रति घण्टा है । तथा ६ मास, ६ घण्टे, ६ दिन, ६ प्रहर और ६ घड़ी के ४४८४ घण्टे और २४ मिनट होते हैं । इतने समय में वह लोहे का गोला ३५ करोड, २२ लाख ५८ हजार ५८९ मील की दूर तय कर लेगा और यह एक रज्जु का प्रमाण होगा । इसी प्रकार के दूसरे दृष्टान्त ( जिसमें ६ देव तथा बलिपिण्ड लिए छह देवियाँ बताई गई हैं) के आधार पर वाम ग्लास नेप्पिन ने अपनी पुस्तक डेर जैनिस्मस में रज्जु का प्रमाण १.३०८ (१०) २१ निकाला है, जो एक देव २०५७१५२ योजन प्रतिक्षण चलते हुए छह महिने में तय करता है । इन दोनों ही दृष्टान्तों से लोक के असीम विस्तार का अनुमान किया जा सकता है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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