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________________ ऊर्ध्वलोक-देवनिकाय १९१ प्राचीन काल में मध्यकाल तक समस्त विश्व में यह सर्वमान्य मत प्रचलित था कि पृथ्वी अचल और सूर्य गतिमान है । पृथ्वी का 'अचला' नाम उसकी स्थिरता को ही पुष्ट करता है । किन्तु मध्यकाल में इटली के विद्वान गेलीलियो ने यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी घूमती है । उस समय गेलीलियो के इस कथन को किसी ने स्वीकार नहीं किया, गलत बताया । (वास्तविक दृष्टि से यह था भी गलत क्योंकि नवीनतम वैज्ञानिक खोजों ने ही सूर्य को भी गतिमान सिद्ध कर दिया है ।) गेलीलियो का यह सिद्धान्त कई शताब्दियों तक विस्मृति के गर्भ में समाया रहा । सोलहवीं शताब्दी के बाद जब यूरोप में धर्मविरोध और वैज्ञानिकता की लहर व्याप्त होने लगी तो उनका ध्यान गेलीलियो के इस सिद्धान्त की ओर गया । कापरनिकस ने इसका जोरदार समर्थन करके इसे पुनर्जीवन प्रदान कर दिया । . काफी समय तक ‘सूर्य स्थिर है' यह सिद्धान्त पूरे जोर-शोर से चलता रहा; किन्तु नवीनतम वैज्ञानिक खोजों ने कापरनिकस के 'सूर्य स्थिर है' इस सिद्धान्त की जड़ें हिला दी हैं । इस विषय में हम सबसे पहले आधुनिक युग के महानतम वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन के शब्द उद्धृत करते हैं । वे कहते The relative motion of the members of Solar system may be explained as the older geocentric mode and on the other introduced by Copernicus. Both are legitimate and give a correct description of the motion (Relativety and Commonense by Denton) अर्थात् सौर-परिवार के सदस्यों (ग्रहों) का चार प्राचीन सिद्धान्त (पृथ्वी स्थिर है) के अनुसार भलीभाँति समझाया जा सकता है और कापरनिकस के सिद्धांत (सूर्य स्थिर है) के अनुसार भी । (इस दृष्टि से) दोनों ही सत्य हैं और स्थिति का सही विवरण देते हैं । उनका अभिप्राय यह है कि गणित की सुविधा के लिए सूर्य को स्थिर माना गया है । निम्न शब्दों में देखिए - Nevertheless, many complications are avoided by imagining that the sun and not the earth is at rest. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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