SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३८ तत्त्वार्थ सूत्र : अध्याय ३ : सूत्र १-२ तदुपरान्त मशक का मुँह खोलकर वायु निकाल दी जाय और उस भाग में पानी भर दिया जाय । इसके बाद बीच का बन्धन भी खोल दिया जाय। इस स्थिति में भी पानी ऊपर ही रहेगा, नीचे नहीं जायेगा । सरल शब्दों में वायु के आधार पर पानी अवस्थित रहेगा । __यही स्थिति लोक की है, नरकों की है और पृथ्वी की भी है । पृथ्वी के विषय में पौराणिक काल में अनेक मान्यताएँ प्रचलित थी, यथा-पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है, कच्छप की पीठ, पर अवस्थित है आदि-आदि । किन्तु जैनदर्शन की मान्यता इन सभी प्रकार की मान्यताओं से भिन्न रही है । जैन दर्शन की मान्यता के अनुसार लोक घनोदधि पर, घनोदधि घनवात पर और घनवात तनुवात पर स्थिर है तथा तनुवात आकाश पर स्थिर ह। घनोदधि जलजातीय है और जमे हुए घी के समान है । यह असंख्यात योजन विस्तृत है तथा लोक के (और नरकों के भी) चारो ओर अवस्थितइसे बेढ़े हुए (वेष्टित किये) हैं । घनोदधि को घनवात बेढ़े हुए हैं । घनवात वायुजातीय है और तनुवात पिघले हुए घी के समान है । घनवात तनुवात के आधार पर टिकी हुई है । तनुवात घनवात को चारो ओर से आवरित किये हुए हैं । तनुवात के नीचे असंख्यात योजन विस्तृत आकाश है । वहाँ तक धर्मास्तिकाय आदि ५ द्रव्य हैं । धर्मास्तिकाय की समाप्ति के बिन्दु से आगे असंख्यात योजन विस्तृत आकाश है । धर्मास्तिकाय आदि पाँच द्रव्यों के अन्तिम बिन्दु तक लोक है और इसके आगे का असंख्यात योजन का आकाश अलोकाकाश कहलाता है । वहाँ आकाश के अतिरिक्त अन्य कोई भी द्रव्य नहीं है । घनवात आदि के लिए वैज्ञानिक पर्यावरण अथवा वायुमण्डल शब्द का प्रयोग करते हैं । उनकी मान्यता है कि एक निश्चित सीमा तक पृथ्वी के चारो ओर का वायुमण्डल सघन और फिर क्रमशः विरल होता गया है । यह वैज्ञानिक मान्यता घनोदधि, घनवात और तनुवात की अवस्थिति को ही प्रमाणित कर रही है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy