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________________ जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व साथ ही प्रतिपादित किया गया है। विशेषावश्यकभाष्य में लिखा है कि रात्रिभोजन नहीं करने से अहिंसा-महाव्रत का संरक्षण होता है। 123 जैन-परम्परा में तो रात्रिभोजन-वर्जन का स्पष्ट आदेश है। प्राचीन एवं अर्वाचीन जैन-ग्रन्थों के साथ ही वैदिक-परम्परा के ग्रंथों में भी रात्रिभोजन का निषेध किया गया है। रात्रिभोजन-त्याग अहिंसा की कसौटी है। इस कारण रात्रिभोजन-निषेध की बात किसी-न-किसी रूप में विभिन्न धर्म ग्रन्थों में मिलती है। महाभारत24 में स्पष्ट उल्लेख है - मद्यमांसाशनं रात्रिभोजनं . कन्दभक्षणं ये कुर्वीन्ति वृथा तेषां तीर्थयात्रा जतस्तपः ।। अर्थात; रात्रिभोजन, मद्यपान, मांसाहार एवं कन्दभक्षण में जो हिंसा होती है, इसके कारण जप, तप और तीर्थयात्रा आदि सब व्यर्थ हो जाते हैं। उसको नरक का प्रथम द्वार बताया गया है। 125 मार्कण्डेय ऋषि ने रात्रिभोजन को मांसाहार के समान कहा है। सूर्यास्त के बाद अन्न, मांस और जल रक्त जैसा हो जाता है। 126 जो सूर्यास्त से पूर्व भोजन कर लेता है, वह महान् पुण्य का उपार्जन करता है। एक बार भोजन करने वाला अग्निहोत्र जितना फल प्राप्त करता है और जो सूर्यास्त से पहले भोजन करता है, वह तीर्थयात्रा के फल को प्राप्त करता है। यदि किसी के घर में स्वजन की मृत्यु हो जाए, तो कितने ही दिनों तक उसका सूतक रहता है, फिर सूर्य अस्त हो जाने पर भोजन कैसे किया जा सकता है।127 रात्रिभोजन से परलोक में विविध प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। जो रात्रि में भोजन करता है, वह अगले जन्म में उल्लू, कौआ, बिल्ली, 123 विशेषावश्यकभाष्य - गाथा 1247 वृति 124 महाभारत (ऋशीश्वर भारत) चत्वारो नरकद्वारा, प्रथम रात्रिभोजनम् परस्त्रीगमनं चैव सन्धानान्तकायिके।। - रात्रिभोजन महापाप, पृ. 25 126 अस्तंगते दिवानाथे, आपो रुधिरमुच्यते।। अन्नं मांससमं प्रोक्तं मार्कण्डेय महार्षिणा। - मार्कण्डपुराण 127 मृते स्वजन मात्रेऽपि, सूतकं जायते किल अस्ते गते दिवानाथे, भोजनं क्रियते कथम् ? --मार्कण्डपुराण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004097
Book TitleJain Darshan me Vyavahar ke Prerak Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages580
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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