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________________ जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व 4. आहार के विषय में चिंतन करते रहने से। 1. जठराग्नि प्रदीप्त होने से - आहार प्राणीमात्र को शक्ति एवं स्फूर्ति प्रदान करता है। जैनदर्शन के अनुसार, आहार-संज्ञा गर्भ में से ही सभी जीवों में पाई जाती है। जीव जब शारीरिक एवं मानसिक-परिश्रम करता है, जैसे - चलना, फिरना, बोलना, घूमना या अन्य कार्य करना, तो शारीरिक-शक्ति का हास होता है। उस हास की पूर्ति आहार के माध्यम से होती है। हम प्रत्यक्ष देखते हैं कि जब सुबह उठते हैं, तो पेट खाली होने के कारण जठराग्नि प्रदीप्त हो जाती है और जोरदार भूख लगती है। शरीर आहार की मांग करता है, उस समय आहार-संज्ञा प्रदीप्त हो जाती है और हम आहार ग्रहण करने का प्रयास करते हैं। जब तक कुछ आहार शरीर को प्राप्त नहीं होता, तब तक वह क्षुधा बनी रहती है, अतः आहार-संज्ञा की उत्पत्ति का प्रथम कारण पेट का खाली होना और जठराग्नि का प्रदीप्त होना है। संसार में छोटे-से-छोटे प्राणी से लगाकर विशालकाय हाथी तक, सभी को जब यह अनुभव होता है कि अपना पेट खाली हो चुका है, तो वह आहार की खोज में निकल जाता है और आहार-प्राप्ति के लिए हरसंभव प्रयत्न करता है। संक्षेप में, आहार को ग्रहण करने की इच्छा ही आहार-संज्ञा है। 2. क्षुधावेदनीय-कर्म - जिस कर्म के उदय से जीव शाता-अशाता अथवा सुख-दुःख का वेदन अनुभव करता है, उसे वेदनीय-कर्म कहते हैं। वेदनीय-कर्म का ही आवान्तर प्रकार है- क्षुधावेदनीय, क्षुधा अर्थात् भूख तथा वेदनीय अर्थात् भोजन की इच्छा। जब जीव को भूख लगती है, तो उसे आहार के प्रति तीव्र अभिलाषा उत्पन्न हो जाती है। जब इस प्रकार की स्थिति बनती है, तो व्यक्ति आंहार करने का प्रयास करता है। आहार जब तक नहीं मिलता, क्षुधावेदनीय-कर्म का उदय बना रहता है। क्षुधावेदनीय-कर्म के कारण आहार की आसक्ति निरन्तर बनी रहती है, चाहे फिर एकेन्द्रिय जीव हो या पंचेन्द्रिय जीव। 78 वेयणीयं पि य दुविहं सायमसायं च आहियं सायस्स उ बहू भेया एमेव असायस्स वि। - उत्तराध्ययनसूत्र-33/7 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004097
Book TitleJain Darshan me Vyavahar ke Prerak Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages580
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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