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________________ जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व स्थानांग, समवायांग, भगवती, आवश्यक, आवश्यक –निर्युक्ति, धवला, गोम्मटसार जीवकाण्ड, पंचसंग्रह (प्राकृत एवं संस्कृत), नियमसार, तात्पर्यवृत्ति, तत्त्वार्थसार आदि ग्रन्थों में संज्ञा के चार भेद बताए हैं 1. आहारसंज्ञा, 2. भयसंज्ञा, 3. 1- चार प्रकार की संज्ञा मैथुनसंज्ञा और 4. परिग्रहसंज्ञा । 7 2- छह प्रकार की संज्ञा 1. आहारसंज्ञा, 2. भयसंज्ञा, 3. मैथुनसंज्ञा, 4. परिग्रह संज्ञा, 5. लोकसंज्ञा, 6. ओघसंज्ञा । यह चर्चा मुनि मनितसागरजी ने अपने ग्रन्थ में की है । 3 - दस प्रकार की संज्ञा - 1. आहारसंज्ञा, 2. भयसंज्ञा, 3. मैथुनसंज्ञा, 4. परिग्रहसंज्ञा, 5. लोकसंज्ञा, 6. ओघसंज्ञा, 7. क्रोधसंज्ञा, 8. मानसंज्ञा, 9. मायासंज्ञा, 10. लोभसंज्ञा । 18 4- सोलह प्रकार की संज्ञा 1. आहारसंज्ञा, 2. भयसंज्ञा, 3. मैथुनसंज्ञा, 4. परिग्रहसंज्ञा, 5. लोकसंज्ञा, 6. ओघसंज्ञा, 7. क्रोधसंज्ञा, 8. मानसंज्ञा, 9. मायासंज्ञा, 10. लोभसंज्ञा, 11. मोहसंज्ञा, 12. सुखसंज्ञा, 13. दुःखसंज्ञा, 14. विचिकित्सा, 15. शोकसंज्ञा, 16. धर्मसंज्ञा । 19 उपर्युक्त वर्गीकरण के अलावा धवला में एक क्षीणसंज्ञा " भी कही गई है। आहारादि चारों संज्ञाओं के अभाव को क्षीणसंज्ञा कहते हैं । यहाँ संज्ञा उनके अभाव या अनावश्यकता की अन्तश्चेतना है । . — आचारांग नियुक्ति में मूलतः संज्ञा के द्रव्य और भाव - रूप दो भेद किए गए हैं। 21 सचित्, अचित् और मिश्र के भेद से द्रव्यसंज्ञा के तीन 17 18 33 (अ) सण्णा चउव्विहाआहार-भय- मेहुणपरिग्गहसण्णा चेदि । धवला - 2 / 1.1/413/2 समवायांग 4/4 (स) आहार भय परिग्गह मेहुण रुवाओ हुंति चत्तारि सत्ताणं सन्नाओं आसंसार समग्गाणं ।। - प्रवचनसारोद्धार, 923, संज्ञाद्वार 144 1) स्थानांगसूत्र, 10/105 2) प्रज्ञापना पद, 8 3) प्रवचन सारोद्धार, गाथा 924, संज्ञाद्वार 144 19 अभिधान राजेन्द्र खण्ड-7, पृ. 301, आचारांगनिर्युक्ति-39 20 "खीण सण्णा वि अत्थि" धवला पृ. 419/1 21 आचारांगनिर्युक्ति, गाथा - 38, 39 राजेन्द्रअभिधान कोश भाग-7, पृ. 301 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004097
Book TitleJain Darshan me Vyavahar ke Prerak Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages580
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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