________________
जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व
इसलिए मान संज्ञा का त्याग कर उस पर विजय प्राप्त कर मोक्ष - पथ पर अपने कदमों को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ।
342
Jain Education International
-000
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org