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जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व
है। अलबर्ट (Albert) नामक एक बच्चे पर उनका इस प्रयोजन में किया गया प्रयोग उल्लेखनीय है। बच्चे अपने डर के संवेग की अभिव्यक्ति अपने-आपको फर्नीचर आदि के पीछे छिपाकर या फिर जोर से चिल्लाकर करते हैं, परन्तु बड़े हो जाने पर भय की अभिव्यक्ति चेहरे के हाव-भाव (Facial expression) के द्वारा करते हैं।182
___'भय व्यक्ति में विद्यमान प्रारम्भिक और आधारभूत मूल प्रवृत्ति है, जिसे व्यक्ति एक क्रमबद्ध शारीरिक-क्रिया द्वारा व्यक्त करता है, जो व्यक्ति के व्यवहार पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है।' – विल्सन
भय एक सशक्त भाव है, जोकि खतरे का आभास कराता है, इसमें व्यक्ति छिपने और बचने का प्रयत्न करता है, साथ ही भय एक मनोव्यथा भी है, जो विभिन्न प्रकार के रोगों को जन्म देती है, जिसके कारण जीवन नारकीय हो जाता है। मनोवैज्ञानिक होरेस फलेचा ने भय की तुलना एक ऐसी जहरीली गैस से की है, जो जीवन के लिए अत्यन्त हानिकारक है। -"A number of situations are known to elicit an identifible pattern of behavior called fear."183
मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक -दोनों ही दृष्टिकोणों से देखें, तो ज्ञात होता है कि भय सभी प्रकार के मानसिक-विचलनों का प्रमुख कारण है। वॉटसन (Watson), शेयरमेन (Sherman), ब्रीजस (Bridges) आदि मनोवैज्ञानिकों ने सर्वप्रथम डर (Fear) को अन्तरिक्ष से गिरते समय महसूस किया था। वे गिरे, तो असंतुलन के कारण सर्वप्रथम डर लगा और जब संभल गए, तो डर चला गया।
___ जरसिल और co-worker ने अपने प्रयोग के आधार पर कहा है कि भय इन चार प्रकार से हो सकता है184 - 1. जानवरों की प्रतिक्रियाओं से, 2. आवाज से, 3. आने वाली आपत्ति की सूचना से और 4.आश्चर्यजनक वस्तु को देखकर।
182 आधुनिक सामान्य मनोविज्ञान, अरूणकुमार सिंह, आशीषकुमार सिंह, पृ. 424 183 Basic Psychology, P. 100 184 Jersild and his co-workers (1933). In their study four type of stimuli
were used to elicit fear. There were (a) animals, (b) noises, (c) threats and (d) strange things - Basic Psychology, P. 101
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