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प्रज्ञापना सूत्र
___इष्ट स्वर में तो अपना स्वर इष्ट होना तथा इष्ट रस में अपने वचनों में माधुर्य समझना जैसे आम्र आदि वनस्पति में मधुर रस होता है।
वीणा आदि शुभ पुद्गल या पुद्गलों का वेदन किया जाता है जैसे वीणा के संबंध से इष्ट शब्द, पीठी के संबंध से इष्ट रूप, सुगंधी द्रव्य के संबंध से इष्ट गंध, ताम्बूल के संबंध से इष्ट रस, पट्टरेशमी वस्त्र के संबंध से इष्ट स्पर्श, शिबिका-पालखी के संबंध से इष्ट गति, सिंहासन के संबंध के इष्ट स्थिति, कुंकुम-केसर के योग से इष्ट लावण्य, दान के संबंध से यश:कीर्ति, राजा के योग से इष्ट उत्थान आदि और गुटिका के योग से इष्ट स्वर आदि होता है या ब्राह्मी औषधि आदि आहार के परिणाम रूप पुद्गल परिणाम को वेदा जाता है या विस्रसा-स्वभाव से शुभ मेघ आदि पुद्गलों के परिणाम को वेदा जाता है जैसे वर्षाकालीन मेघों की घटा देख कर युवतियाँ इष्ट स्वरगान में प्रवृत्त होती है उसके प्रभाव से शुभनामकर्म का वेदन किया जाता है। यह परतः शुभनाम का उदय है। शुभ नाम कर्म के पुद्गलों के उदय से इष्ट शब्द आदि शुभ नाम कर्म का वेदन स्वतः शुभनाम कर्म का उदय है।
दुहणामस्स णं भंते! पुच्छा?
गोयमा! एवं चेव, णवरं अणिट्ठा सहा जाव हीणस्सरया, दीणस्सरया, अणिट्ठस्सरया अकंतस्सरया, जं वेएइ सेसं तं चेव जाव चठहसविहे अणुभावे पण्णत्ते॥६०७॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जीव के द्वारा बद्ध यावत् अशुभ नाम कर्म का कितने प्रकार का । अनुभाव कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! शुभ नाम कर्म की तरह अशुभनाम कर्म का अनुभाव भी चौदह प्रकार का कहा गया है, किन्तु इतनी विशेषता है कि इष्ट शब्द आदि के स्थान पर अनिष्ट शब्द आदि यावत् हीन स्वर दीन स्वर अनिष्ट स्वर और अकान्त स्वर आदि समझना चाहिये। __ जिस पुद्गल आदि का वेदन किया जाता है यावत् अथवा उनके उदय से अशुभनामकर्म को वेदा जाता है। शेष सब पूर्ववत् यावत् अशुभ नाम कर्म का चौदह प्रकार का अनुभाव कहा गया है।
- विवेचन - अशुभ नाम कर्म का विपाक चौदह प्रकार का कहा गया है जो इस प्रकार है १. अनिष्ट शब्द २. अनिष्ट रूप ३. अनिष्ट गंध ४. अनिष्ट रस ५. अनिष्ट स्पर्श ६. अनिष्ट गति ७. अनिष्ट स्थिति ८. अनिष्ट लावण्य ९. अनिष्ट यशःकीर्ति १०. अनिष्ट उत्थान कर्म, बल, वीर्य, पुरुषकार पराक्रम ११. अनिष्ट स्वर १२. अकांत स्वर १३. अप्रिय स्वर और १४. अमनोज्ञ स्वर।
अशुभ नाम कर्म का परत: और स्वत: उदय भी शुभनाम कर्म के अनुसार ही समझना चाहिये किन्तु वह शुभ से विपरीत अशुभ रूप है।
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