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अट्ठाईसवाँ आहार पद - द्वितीय उद्देशक - संज्ञी द्वार
अनाहारक भी होते हैं ' क्योंकि प्रतिसमय विग्रह गति को प्राप्त अनन्त एकेन्द्रिय जीव होने से और उनमें सदैव अनाहारकपना होने से वे सदैव बहुत होते हैं। - असण्णी णं भंते! णेरइया किं आहारगा अणाहारगा? . - गोयमा! आहारगा वा १, अणाहारगा वा २, अहवा आहारए य अणाहारए य ३, अहवा आहारए य अणाहारगा य ४, अहवा आहारगा य अणाहारए य ५, अहवा आहारगा य अणाहारगा य ६, एवं एए छब्भंगा, एवं जाव.थणियकुमारा। एगिदिएसु अभंगयं, बेइंदिय जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु तियभंगो, मणूसवाणमंतरेसु छब्भंगा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! बहुत असंज्ञी नैरयिक आहारक होते हैं या अनाहारक?
उत्तर - हे गौतम! १. वे सभी आहारक होते हैं २. सभी अनाहारक होते हैं अथवा ३. एक आहारक और एक अनाहारक ४. अथवा एक आहारक और बहुत अनाहारक होते हैं ५. अथवा बहुत से आहारक और एक अनाहारक होता है तथा ६. बहुत से आहारक और बहुत से अनाहारक होते हैं इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमार तक समझना चाहिए। एकेन्द्रिय जीवों में भंग नहीं होता। बेइन्द्रिय से पंचेन्द्रिय तिर्यंच तक के जीवों में तीन भंग कहने चाहिये। मनुष्यों और वाणव्यंतर देवों में छह भंग कहने चाहिये।
विवेचन - असंज्ञी नैरयिकों में आहारक अनाहारक विषयक छह भंग इस प्रकार होते हैं१. सभी आहारक होते हैं-यह प्रथम भंग, यह भंग जब अन्य असंज्ञी नैरयिक उत्पन्न होने पर भी विग्रहगति को प्राप्त नहीं होते हैं और पूर्व में उत्पन्न हुए सभी नैरयिक आहारक हो जाते हैं तब घटित होता है २. सभी अनाहारक होते हैं यह दूसरा भंग, यह भंग ज़ब पूर्वोत्पन्न असंज्ञीनैरयिक एक भी नहीं होता है और उत्पन्न होते हुए विग्रहगति को प्राप्त बहुत से नैरयिक होते हैं तब घटित होता है ३. एक आहारक होता है और एक अनाहारक होता है, प्राकृत भाषा में द्विवचन में भी बहुवचन होता है अत: बहुवचन की अपेक्षा यह भंग बराबर है। जब बहुत काल से उत्पन्न हुआ एक असंज्ञी नैरयिक होता है तत्काल उत्पन्न होता हुआ भी एक असंज्ञी नैरयिक विग्रह गति को प्राप्त होता हो तब यह भंग घटित हो सकता है ४. एक आहारक होता है और बहुत से अनाहारक होते हैं यह चौथा भंग, यह भंग बहुत काल से उत्पन्न हुआ एक असंज्ञी नैरयिक विद्यमान हो और तत्काल उत्पन्न होते दूसरे असंज्ञी नैरयिक विग्रहगति को प्राप्त हुए हों तब जानना ५. बहुत से आहारक होते हैं और एक अनाहारक होता है यह पांचवां भंग, लम्बे काल से उत्पन्न हुए बहुत से नैरयिक हों और तत्काल उत्पन्न होता हुआ एक असंज्ञी नैरयिक विग्रहगति को प्राप्त हुआ हो तब यह भंग जानना ६. बहुत से आहारक होते हैं और बहुत से अनाहारक होते हैं यह छठा भंग, यह
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