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________________ १७८ प्रज्ञापना सूत्र भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अधस्तन-अधस्तन (सबसे नीचे की त्रिक के) ग्रैवेयक देवों को कितने काल में आहार की अभिलाषा उत्पन्न होती है ? उत्तर - हे गौतम! जघन्य बाईस हजार वर्षों में और उत्कृष्ट तेईस हजार वर्षों में आहार की इच्छा उत्पन्न होती है। इसी प्रकार सर्वार्थसिद्ध विमान तक एक-एक हजार वर्ष अधिक कहना चाहिए।. प्रश्न - हे भगवन्! अधस्तन-मध्यम ग्रैवेयकों की आहार विषयक पृच्छा? उत्तर - हे गौतम! जघन्य तेईस हजार वर्षों में और उत्कृष्ट चौबीस हजार वर्षों में आहार की इच्छा उत्पन्न होती है। प्रश्न - हे भगवन् ! अधस्तन-उपरिम ग्रैवेयकों के आहारेच्छा विषयक प्रश्न?. .. उत्तर - हे गौतम! जघन्य चौवीस हजार वर्षों में और उत्कृष्ट पच्चीस हजार वर्षों में आहार की इच्छा उत्पन्न होती है। प्रश्न - हे भगवन्! मध्यम-अधस्तन ग्रैवेयकों के विषय में आहारेच्छा सम्बन्धी प्रश्न ? उत्तर - हे गौतम! जघन्य पच्चीस हजार वर्षों में और उत्कृष्ट छब्बीस हजार वर्षों में आहार की इच्छा उत्पन्न होती है। प्रश्न - हे भगवन्! मध्यम-मध्यम ग्रैवेयकों की आहारेच्छा विषयक प्रश्न? उत्तर - हे गौतम! जघन्य छब्बीस हजार वर्षों में और उत्कृष्ट सत्ताईस हजार वर्षों में आहार की इच्छा उत्पन्न होती है। प्रश्न - हे भगवन् ! मध्यम-उपरिम ग्रैवेयकों आहारेच्छा सम्बन्धी प्रश्न? उत्तर - हे गौतम! जघन्य सत्ताईस हजार वर्षों में और उत्कृष्ट अट्ठाईस हजार वर्षों में आहारेच्छा उत्पन्न होती है। प्रश्न - हे भगवन्! उपरिम-अधस्तन ग्रैवेयकों की आहारेच्छा विषयक प्रश्न? उत्तर - हे गौतम! जघन्य अट्ठाईस हजार वर्षों में और उत्कृष्ट उनतीस हजार वर्षों में आहार की इच्छा उत्पन्न होती है। प्रश्न - हे भगवन् ! उपरिम-मध्यम ग्रैवेयकों की आहारेच्छा सम्बन्धी प्रश्न ? उत्तर - हे गौतम! जघन्य उनतीस हजार वर्षों में और उत्कृष्ट तीस हजार वर्षों में आहार की इच्छा उत्पन्न होती है। प्रश्न- हे भगवन् ! उपरिम-उपरिम ग्रैवेयकों में कितने काल से आहार की इच्छा उत्पन्न होती है ? उत्तर - हे गौतम! जघन्य तीस हजार वर्ष में और उत्कृष्ट इकतीस हजार वर्षों में आहार की इच्छा उत्पन्न होती है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004096
Book TitlePragnapana Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size8 MB
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