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छव्वीसवां कर्म वेद बन्ध पद
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कर्मों का बंध करता है। इसी प्रकार यावत् वैमानिक पर्यन्त समझना चाहिए परन्तु मनुष्य का कथन समुच्चय जीव के समान कहना चाहिये।
विवेचन - नैरयिक से लेकर वैमानिक तक के जीव ज्ञानावरणीय कर्म का वेदन करते हुए सात या आठ कर्मों का बंध करता है। मनुष्य ज्ञानावरणीय कर्म को वेदता हुआ ७, ८, ६ या १ कर्म का बंध करता है।
जीवा णं भंते! णाणावरणिज कम्मं वेएमाणा कइ कम्मपगडीओ बंधंति ?
गोयमा! सव्वे वि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य १, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य २, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगा य ३, अहवा सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधए य ४, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य ५, .. अहवा सत्तविहबंधगा-य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य एगविहबंधारा, अहक सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य एगविहबंधगा य ७, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधगा य एगविहबंधए य ८, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य एगविहबंधगा य ९, एवं एए णव भंगा। अवसेसाणं एगिंदियमणूसवजाणं तियभंगो जाव वेमाणियाणं। एगिंदिया णं सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! बहुत जीव ज्ञानावरणीय कर्म का वेदन करते हुए कितनी कर्म प्रकृतियाँ बांधते हैं? . उत्तर - हे गौतम! १. सभी जीव सात कर्म प्रकृतियों के बंधक होते हैं और आठ कर्म प्रकृतियों के बंधक होते हैं २. अथवा बहुत जीव सात कर्म प्रकृतियों और आठ कर्म प्रकृतियों के बंधक होते हैं और एक छह कर्म प्रकृतियों का बंधक होता है ३. अथवा बहुत जीव सात कर्म प्रकृतियों के, आठ कर्म प्रकृतियों के और छह कर्म प्रकृतियों के बंधक होते हैं ४. अथवा बहुत जीव सात कर्म प्रकृतियों के, आठ कर्म प्रकृतियों के तथा कोई एक प्रकृति का बंधक होता है ५. अथवा बहुत जीव सात कर्म प्रकृतियों, आठ कर्म प्रकृतियों के और एक कर्म प्रकृति के बंधक होते हैं ६. अथवा बहुत जीव सात कर्म प्रकृतियों के, आठ कर्म प्रकृतियों के, एक जीव छह कर्म प्रकृतियों का और एक जीव एक कर्म प्रकृति का बंधक होता है ७. अथवा बहुत से जीव सात कर्म प्रकृतियों के या आठ कर्म प्रकृतियों के, एक जीव छह कर्म प्रकृतियों का और बहुत जीव एक कर्म प्रकृति के बंधक होते हैं ८. अथवा बहुत
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