SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०० ********oooooook प्रज्ञापना सूत्र #kokoooook: प्रश्न - हे भगवन् ! तेइन्द्रिय जाति नाम कर्म की स्थिति सम्बन्धी पृच्छा ? उत्तर - हे गौतम! तेइन्द्रिय जाति नाम कर्म की जघन्य स्थिति पूर्ववत् है । उत्कृष्ट स्थिति अठारह कोडाकोड़ी सागरोपम की है। अबाधाकाल अठारह सौ वर्ष का है। प्रश्न - हे भगवन् ! चउरिन्द्रिय जाति नाम कर्म की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! चउरिन्द्रिय जाति नाम कर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के वें भाग की है और उत्कृष्ट स्थिति अठारह कोडाकोडी सागरोपम की है। अबाधाकाल अठारह सौ वर्ष का है। कर्म स्थिति में से अबाधाकाल कम करने पर शेष कर्म निषेक काल है। ३५ phic calckickk पंचिंदियजाइणामाएं णं पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दोण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखिज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, वीस य वाससयाई अबाहा० । ओरालियसरीरणामए वि एवं चेव । भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! पंचेन्द्रिय जाति नाम कर्म की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! पंचेन्द्रिय जाति नाम कर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम् के असंख्यातवें भाग कम भाग की है और उत्कृष्ट स्थिति बीस कोडाकोडी सागरोपम की है। अबाधाकाल सागरोपम बीस सौ (दो हजार वर्ष का है। औदारिक शरीर नामकर्म की स्थिति भी इसी प्रकार समझनी चाहिए । वेडव्वियसरीरणामाए णं भंते! पुच्छा ? गोयमा ! जहणेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागां पलिओवमस्स असंखिज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, वीसइ वाससयाइं अबाहा० । आहारगसरीरणामाए जहणणेणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ, उक्कोसेणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ । Jain Education International तेयाकम्पसरीरणामाए जहण्णेणं दोण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखिज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, वीस य वाससयाइं अबाहा० । ओरालियवेडव्वियआहारगसरीरोवंगणामाए तिण्णि वि एवं चेव, सरीरबंधणणामाए For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004096
Book TitlePragnapana Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy