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________________ पन्द्रहवां इन्द्रिय पद-द्वितीय उद्देशक - सातवां इन्द्रिय अवग्रह द्वार श्रोत्रेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे घ्राणेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे जिह्वेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे स्पर्शनेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है। जघन्योत्कृष्ट उपयोगाद्धा की अपेक्षा से सबसे कम चक्षुरिन्द्रिय का जघन्य उपयोगाद्धा है, उससे श्रोत्रेन्द्रिय का जघन्य उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे घ्राणेन्द्रिय का जघन्य उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे जिह्वेन्द्रिय का जघन्य उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे स्पर्शनेन्द्रिय का जघन्य उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, स्पर्शनेन्द्रिय के जघन्य उपयोगाद्धा से चक्षुरिन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे श्रोत्रेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे घ्राणेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे जिह्वेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है, उससे स्पर्शनेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है। विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में इन्द्रियों के उपयोग काल का अल्प बहुत्व का कथन किया गया है। जो इस प्रकार है - जघन्य उपयोग काल का अल्प बहुत्व - १. सबसे थोड़ा चक्षु इन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल २. श्रोत्रेन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल विशेषाधिक ३. घ्राणेन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल विशेषाधिक ४. रसनेन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल विशेषाधिक ५. स्पर्शनेन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल विशेषाधिक। ... उत्कृष्ट उपयोग काल का अल्प बहुत्व - १. सबसे थोड़ा चक्षु इन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल, २. श्रोत्रेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल विशेषाधिक ३. घ्राणेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल विशेषाधिक ४. रसनेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल विशेषाधिक ५. स्पर्शनेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल विशेषाधिक। - जघन्य उत्कृष्ट उपयोग काल का शामिल अल्प बहुत्व - १. सबसे थोड़ा चक्षु इन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल २. श्रोत्रेन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल विशेषाधिक ३. घाणेन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल विशेषाधिक ४. रसनेन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल विशेषाधिक ५. स्पर्शनेन्द्रिय का जघन्य उपयोग काल विशेषाधिक ६ चक्षु इन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल विशेषाधिक ७. श्रोत्रेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल विशेषाधिक. ८. घ्राणेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल विशेषाधिक ९. रसनेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल विशेषाधिक १०. स्पर्शनेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोग काल विशेषाधिक। . सातवां इन्द्रिय अवग्रह द्वार कइविहा णं भंते! इंदियओगाहणा पण्णत्ता? - गोयमा! पंचविहा इंदियओगाहणा पण्णत्ता। तंजहा - सोइंदियओगाहणा जाव . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004095
Book TitlePragnapana Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages412
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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