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________________ चौथा स्थिति पद - तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति *********0000000000000000 ..........................................................000000000 भावार्थ - प्रश्न हे भगवन् ! खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति कितने काल की - कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग की कही गई है। ३५ अपज्जत्तगाणं पुच्छा ? गोयमा! जहण्णेणं वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! अपर्याप्तक खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! अपर्याप्तक खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की कही गई है। पज्जत्तगाणं पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं, अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखिज्जइभागं अंतोमुहुत्तूर्णं । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! पर्याप्तक खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम पल्योपम के असंख्यातवें भाग की कही गई है। सम्मुच्छिम खहयर पंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावत्तरी वाससहस्साइं । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! सम्मूच्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! सम्मूच्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट बहत्तर हजार (७२०००) वर्ष की कही गई है। अपज्जत्तगाणं पुच्छा? गोयमा ! जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वि अंतोमुहुत्तं । Jain Education International भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! अपर्याप्तक सम्मूर्च्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004094
Book TitlePragnapana Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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