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उवणीयावणीयवयणे, अवणीयठवणीयवयणे, तीयवयणे, पडुप्पण्णवयणे, अणागयवयणे, पच्चक्खवयणे, परोक्खवयणे ।
प्रज्ञापना सूत्र
भावार्थ- प्रश्न हे भगवन् ! वचन कितने प्रकार के कहे गए हैं ?
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उत्तर - हे गौतम! वचन सोलह प्रकार के कहे गये हैं । वे इस प्रकार हैं १. एक वचन २. द्विवचन ३. बहुवचन ४. स्त्री वचन ५. पुरुष वचन ६. नपुंसक वचन ७. अध्यात्म वचन ८. उपनीत वचन ९. अपनीतवचन १०. उपनीतापनीत वचन ११. अपनीतापनीत वचन १२ अतीत वचन. १३. प्रत्युत्पन्न वचन १४. अनागत वचन १५. प्रत्यक्ष वचन और १६. परोक्ष वचन ।
इच्चेइयं भंते! एगवयणं वा जाव परोक्खवयणं वा वयमाणे पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ?
हंता गोयमा ! इच्चेइयं एगवयणं वा जाव परोक्खवयणं वा वयमाणे पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ॥ ४०३ ॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इस प्रकार एक वचन यावत् परोक्ष वचन बोलते हुए जीव की भाषा क्या प्रज्ञापनी है ? यह भाषा मृषा तो नहीं है ?
उत्तर - हाँ गौतम! इस प्रकार एक वचन से लेकर यावत् परोक्ष वचन बोलते हुए जीव की भाषा प्रज्ञापनी है। यह भाषा मृषा नहीं है।
विवेचन- मन में रहा हुआ अभिप्राय प्रकट करने के लिए भाषावर्गणा के परमाणुओं को बाहर निकालना अर्थात् वाणी का प्रयोग करना वचन कहलाता है। इसके सोलह भेद हैं
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१. एक वचन - किसी एक के लिए कहा गया वचन एक वचन कहलाता है। जैसे - पुरुष: (एक पुरुष) ।
२. द्विवचन - दो के लिए कहा गया वचन द्विवचन कहलाता है। जैसे पुरुषौ ( दो पुरुष ) ।
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३. बहु वचन - दो से अधिक के लिए कहा गया वचन, जैसे पुरुषाः (तीन पुरुष अथवा तीन से आगे सभी पुरुषों के लिए संस्कृत में 'पुरुषाः ' शब्द का प्रयोग होता है)
४. स्त्री वचन स्त्रीलिंग वाली किसी वस्तु के लिए कहा गया वचन । जैसे - इयं स्त्री ( यह औरत) ।
५. पुरुष वचन
किसी पुल्लिंग वस्तु के लिए कहा गया वचन । जैसे
( यह पुरुष ) ।
६ नपुंसक वचन - नपुंसक लिंग वाली वस्तु के लिए कहा गया वचन । जैसे (यह कुण्ड) । कुण्ड शब्द संस्कृत में नपुंसक लिंग है। हिन्दी में नपुंसक लिंग नहीं होता है।
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अयं पुरुषः
• इदं कुण्डम्
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