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ग्यारहवाँ भाषा पद - वचन के सोलह प्रकार
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७. अध्यात्म वचन - मन में कुछ और रख कर दूसरे को ठगने की बुद्धि से कुछ और कहने की इच्छा होने पर भी शीघ्रता के कारण मन में रही हुई बात का निकल जाना अध्यात्म वचन है। जैसे गांव में रहने वाले पुरुष को मालूम हो गया कि रुई में तेजी आने वाली है तो वह शहर में गया वहाँ उसे प्यास लग गयी तब वहाँ किसी घर के आगे एक लड़की खड़ी थी उसने उससे कहा "रुई पिला" लडकी चतुर थी उसने समझ लिया कि रुई में तेजी आने वाली है। वह घर में गयी और पिता को यह बात कह दी तब वह सीधा बाजार में गया और रुई के व्यापारियों से सब रुई खरीद ली। इसके बाद वह पहला पुरुष रुई के व्यापारियों के पास गया तो मालूम हुआ कि रुई के व्यापारियों ने सब रुई बेच दी है। तब उसे अपनी गलती मालूम हुई कि मैंने "पानी पिला" के बदले "रुई पिला" कह दिया था। सो उस लड़की ने अपने पिता से यह बात कह दी कि रुई में तेजी आने वाली है इसलिये उसके पिता ने बाजार के व्यापारियों से सब रुई खरीद ली। .
८. उपनीत वचन - प्रशंसा करना, जैसे अमुक स्त्री अथवा पुरुष सुन्दर है। ९. अपनीतवचन - निन्दात्मक वचन जैसे यह स्त्री कुरूपा है या पुरुष कुरूप है।
१०. उपनीतापनीत वचन - पहले प्रशंसा करके पीछे निन्दा करना, जैसे - यह स्त्री सुन्दर है किन्तु दुष्ट स्वभाव वाली है अथवा दुष्ट चरित्र वाली है।
११. अपनीतोपनीत वचन - पहले निन्दा करने के बाद पीछे प्रशंसा करना। जैसे यह स्त्री कुरूपा है किन्तु सुशील है अथवा श्रेष्ठ चारित्र वाली है। . १२. अतीत वचन - भूत काल की बात कहना अतीत वचन है। जैसे-मैंने अमुक कार्य किया था अमुक पुस्तक पढ़ी थी। ___ १३. प्रत्युत्पन्न वचन - वर्तमान काल की बात कहना प्रत्युत्पन्न वचन है। जैसे - वह कार्य करता है। वह जाता है।
१४. अनागत वचन - भविष्य काल की बात कहना अनागत वचन है। जैसे - वह करेगा। वह जायेगा।
१५. प्रत्यक्ष वचन - प्रत्यक्ष अर्थात् सामने की बात कहना। जैसे सामने उपस्थित व्यक्ति के लिए कहना 'यह'।
१६. परोक्ष वचन - परोक्ष अर्थात् पीठ पीछे हुई बात को कहना, जैसे सामने अनुपस्थित व्यक्ति के लिए कहना 'वह' इत्यादि।
ये सोलह वचन यथार्थ वस्तु के सम्बन्ध में जानने चाहिए। इन्हें सम्यक् उपयोग पूर्वक कहे तो भाषा प्रज्ञापनी होती है। इस प्रकार की भाषा मृषाभाषा नहीं कही जाती है।
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