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ग्यारहवाँ भाषा पद - एकवचन आदि की अपेक्षा भाषा निरूपण
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भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! मनुष्यों यावत् चिल्ललकों तथा ये और इसी प्रकार के अन्य जितने भी प्राणी हैं वे सब बहुवचन है?
उत्तर - हाँ गौतम! मनुष्यों यावत् चिल्ललकों और इसी प्रकार के अन्य जितने भी प्राणी हैं वे सब बहुवचन हैं।
नोट - जो अकारान्त शब्द होते हैं उनका अर्धमागधी भाषा में एकवचन में अन्त में 'ए' लग जाता है। जैसे कि 'मणुस्स' शब्द का प्रथमा के एकवचन में 'मणुस्से' 'महिस' का 'महिसे' रूप बन जाता है और बहुवचन में 'आ' लगता है जैसे कि 'मणुस्सा' 'महिसा'। ___ अह भंते! मणुस्सी महिसी वलवा हस्थिणिया सीही वग्घी विगी दीविया अच्छी तरच्छी परस्सरी रासभी सियाली विराली सुणिया कोलसुणिया कोक्कंतिया ससिया चित्तिया चिल्ललिया जा यावण्णा तहप्पगारा सव्वा सा इत्थिवऊ? - हंता गोयमा! मणुस्सी जाव चिल्ललिया जा यावण्णा तहप्पगारा सव्वा सा इथिवऊ। . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! मानुषी (मनुष्य स्त्री), महिषी, घोड़ी, हथिनी, सिंहनी, व्याघ्री, वृकी (भेड़िनी), द्वीपिनी (गेंडी), रीछणी, तरक्षी, अष्टापदी, सियारणी, बिल्ली, कुत्ती, शिकारी कुत्ती, लोमडी, खरगोशनी, चित्ती, चिल्लालिका ये और इसी प्रकार के अन्य जितने भी जीव हैं क्या वे सब स्त्रीवचन हैं?
उत्तर - हाँ गौतम! मानुषी यावत् चिल्लालिका ये और इसी प्रकार के अन्य जितने भी जीव हैं वे सब स्त्रीवचन हैं। . अह भंते! मणुस्से जाव चिल्ललए जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वा सा पुमवऊ?
हंता गोयमा! मणुस्से महिसे जाव चिल्ललए जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वा सा पुमवऊ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! मनुष्य यावत् चिल्ललक तथा अन्य इसी प्रकार के जितने भी जीव हैं क्या वे सब पुरुष वचन (पुल्लिंग) हैं? .
उत्तर - हाँ गौतम! मनुष्य, महिष, अश्व, हाथी, सिंह, व्याघ्र, वृक (भेड़िया), दीपडा (गेंडा), रीछ, तरक्ष (तेंदुआ), पाराशर (अष्टापद), सियार, बिलाव, कुत्ता, शिकारी कुत्ता, कोकन्तिक (लोमड़ी), खरगोश, चीत्ता और चिल्ललक ये और इसी प्रकार के अन्य जितने भी प्राणी हैं वे सब पुरुष वचन (पुल्लिंग) हैं।
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