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________________ छठा व्युत्क्रांति पद - चतुर्विंशति द्वार भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! अच्युत (बारहवां देवलोक ) के देवों का उपपात विरह काल कितना कहा गया है ? उत्तर - हे गौतम! अच्युत देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट संख्यात वर्ष का कहा गया है। १८३ हिट्टिम विज्जगा देवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखिज्जाइं वाससयाइं । भावार्थ- प्रश्न- हे भगवन्! अधस्तन ग्रैवेयक देवों का उपपात विरह काल कितना कहा गया है ? उत्तर - हे गौतम! अधस्तन ग्रैवेयक देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय उत्कृष्ट संख्यात सौ वर्ष का कहा गया है। मज्झिम विज्जगा देवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखिज्जाई वाससहस्साइं । भावार्थ- प्रश्न हे भगवन् ! मध्यम ग्रैवेयक देवों का उपपात विरह काल कितना कहा गया है ? उत्तर - हे गौतम! मध्यम ग्रैवेयक देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय उत्कृष्ट संख्यात हजार वर्ष का कहा गया है। उवरिम विज्जगा देवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखिज्जाई वाससयसहस्साइं । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! ऊपरी ग्रैवेयक देवों का उपपात विरहकाल कितना कहा गया है ? उत्तर - हे गौतम! ऊपरी ग्रैवेयक देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय उत्कृष्ट संख्या लाख वर्ष का कहा गया है। विजय वेजयंत जयंत अपराजिय देवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखिजं कालं । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवों का उपपात विरह काल कितना कहा गया है ? उत्तर - हे गौतम! विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय का उत्कृष्ट असंख्यात काल का कहा गया है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004094
Book TitlePragnapana Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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