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________________ १८२ प्रज्ञापना सूत्र णता? उत्तर - हे गौतम! महाशुक्र देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय उत्कृष्ट अस्सी रात्रि दिन का कहा गया है। सहस्सारे देवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं राइंदियसयं। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! सहस्रार (आठवां देवलोक) के देवों का उपपात विरह काल कितना कहा गया है? ... उत्तर - हे गौतम! सहस्रार देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय उत्कृष्ट १०० रात्रि दिन का कहा गया है। आणयदेवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखिजा मासा। . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! आनत (नववा देवलोक) के देवों का उपपात विरह काल कितना कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! आनत देवों का उपपात विरहकाल जघन्य एक समय उत्कृष्ट संख्यात मास का कहा गया है। पाणयदेवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखिजा मासा। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! प्राणत (दसवां देवलोक) के देवों का उपपात विरहकाल कितना कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! प्राणत देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट संख्यात मास का कहा गया है। आरणदेवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखिजा वासा। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! आरण (ग्यारहवें देवलोक) के देवों का उपपात विरह काल कितना कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! आरण देवों का उपपात विरह काल जघन्य एक समय का उत्कृष्ट संख्यात वर्ष का कहा गया है। अच्चुय देवा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखिज्जा वासा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004094
Book TitlePragnapana Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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