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________________ छठा व्युत्क्रांति पद - चतुर्विंशति द्वार उत्तर - हे गौतम! पंकप्रभा पृथ्वी के नैरयिक का उपपात विरह काल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट एक मास का कहा गया है। धूमप्पभा पुढवि णेरड्या णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं दो मासा । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! धूमप्रभा पृथ्वी के नैरयिक कितने काल तक उत्पत्ति रहित कहे गये हैं? उत्तर - हे गौतम! धूमप्रभा पृथ्वी के नैरयिक का उपपात विरह काल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट दो मास का कहा गया है। तमा पुढवि णेरड्या णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहणणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चत्तारि मासा । भावार्थ प्रश्न हे भगवन् ! तमः प्रभा पृथ्वी के नैरयिक कितने काल तक उत्पत्ति रहित कहे - - गये हैं ? उत्तर - हे गौतम! तमः प्रभा पृथ्वी के नैरयिक का उपपात विरह काल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट चार मास का कहा गया है। अहे सत्तमा पुढवि णेरड्या णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा ॥ २८२ ॥ - भावार्थ- प्रश्न हे भगवन् ! अधः सप्तम (सातवीं नरक) पृथ्वी के नैरयिक कितने काल तक उत्पत्ति रहित कहे गये हैं ? उत्तर - हे गौतम! अधः सप्तम (सातवीं नरक) पृथ्वी के नैरयिक का उपपात विरह काल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट छह मास का कहा गया है। विवेचन प्रस्तुत सूत्र में सात नरक का उपपात विरह काल बताया गया है। पहली नरक में उत्पन्न होने का विरह जघन्य एक समय उत्कृष्ट २४ मुहूर्त का है। दूसरी नरक से सातवीं नरक तक उत्पन्न होने का विरह जघन्य एक समय उत्कृष्ट विरह दूसरी नरक में सात रात्रि दिन का, तीसरी नरक में १५ दिन का, चौथी नरक में एक महीने का, पांचवीं नरक में दो महीने का, छठी नरक में चार महीने का और सातवीं नरक में छह महीने का कहा गया है। असुरकुमारा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं एवं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता । Jain Education International १७७ ****** For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004094
Book TitlePragnapana Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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