________________
३४० ************
प्रज्ञापना सूत्र *******************
*******
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन सूक्ष्म, बादर और नो-सूक्ष्म नो-बादर जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े जीव नो-सूक्ष्म नो-बादर हैं, उनसे बादर अनंत गुणा हैं, उनसे सूक्ष्म असंख्यात गुणा हैं।
विवेचन - प्रश्न - सूक्ष्म किसे कहते हैं ? उत्तर - सूक्ष्म नाम कर्मोदयात् सूक्ष्मः । पृथ्विव्यादिषु एकेन्द्रियेषु।"
अर्थ - जो जीव सूक्ष्म नाम कर्म को वेदते हैं, वे सूक्ष्म कहलाते हैं। सूक्ष्म भेद सिर्फ पृथ्वीकाय आदि पांच एकेन्द्रिय जीवों में ही होता है।
पर्याप्त द्वार के बाद अब सूक्ष्म द्वार कहते हैं - सबसे थोड़े जीव नो-सूक्ष्म नो-बादर यानी सिद्ध हैं क्योंकि वे सूक्ष्म जीव राशि और बादर जीव राशि के अनंतवें भाग में हैं उनसे बादर जीव अनन्तगुणा हैं क्योंकि बादर निगोद के जीव सिद्ध भगवंतों से भी अनन्त गुणा हैं, उनसे सूक्ष्म जीव असंख्यात गुणा हैं क्योंकि बादर निगोद की अपेक्षा सूक्ष्म निगोद असंख्यात गुणा हैं।
॥ सूक्ष्म द्वार समाप्त॥
१९. उन्नीसवां संज्ञी द्वार एएसि णं भंते! जीवाणं सण्णीणं असण्णीणं णोसण्णी णोअसण्णीणं च कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा सण्णी, णोसण्णी णोअसण्णी अणंतगुणा, असण्णी अणंत गुणा॥१९ दारं॥१८८॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन संज्ञी, असंज्ञी और नोसंजी-नोअसंज्ञी जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े जीव संज्ञी हैं, उनसे नोसंजी-नोअसंज्ञी जीव अनन्त गुणा हैं और उनसे असंज्ञी जीव अनन्त गुणा हैं।
विवेचन - प्रश्न - संज्ञी किसे कहते हैं ?
उत्तर - *"संज्ञानं संज्ञा भूत भवत् भावी भाव स्वभाव पर्यालोचनम्। तत् विद्यते यस्य स संज्ञी। अथवा विशिष्ट स्मरणादि रूप मनोविज्ञान सहित इन्द्रिय पंचक समन्वितः प्राणी।"
अर्थ - जिससे अवबोध हो उसे संज्ञा कहते हैं। जिस प्राणी में संज्ञा हो उसे संज्ञी (सन्नी) कहते हैं। तीनों काल सम्बन्धी जिसे ज्ञान हो उसे संज्ञी कहते हैं। अथवा विशिष्ट स्मरण प्रत्यभिज्ञान आदि रूप
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org