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प्रथम प्रज्ञापना पद - पंचेन्द्रिय जीव प्रज्ञापना
उत्तर - तीर्थंकर अथवा आचार्यादि के उपदेश से बोध प्राप्त कर मोक्ष जाने वाले बुद्ध बोधित कहलाते हैं। बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं वे इस प्रकार है प्रथमसमय बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य और अप्रथम समय बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य । अथवा चरम समय बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य और अचरम समय बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य । इस प्रकार बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य कहे हैं। यह छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य का वर्णन हुआ।
से किं तं केवलि खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया ? केवल खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता । तंजहा - सजोगि केवल खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया य अजोगि केवल खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया य ।
से किं तं सजोगि वलि खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया । सजोगि केवलि खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता । तंजहा पढ़म समय सजोगि केवल खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया य अपढम समय सजोगि केवल खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया य | अहवा चरिम समय सजोगि केवल खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया य अचरिमसयसजोगि केवल खीण कसाय चरित्तारिया य ।
सेतं सजोगि केवल खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया ।
प्रश्न- केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं?
उत्तर - केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं । यथा सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य और अयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य ।
प्रश्न- सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं । वे इस प्रकार
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हैं - प्रथम समय सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य और अप्रथम सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य । अथवा चरम समय सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य और अचरम समय सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य। इस प्रकार सयोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग चारित्र आर्य कहे हैं।
से किं तं अजोगि केवल खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया ? अजोगि केवलि खीण कसाय वीयराय चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता । तंजहा- पढम समय अजोगि
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